
Rohit Sharma Profile: रोहित शर्मा की पूरी कहानी: बोरिवली से लेकर टीम इंडिया का कप्तान बनने तक
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रोहित शर्मा जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आए, तब उनके साथ 'टैलेंट' शब्द हमेशा जुड़ता था. साथ ही एक इमेज ये भी थी कि वह एक मुंबई के सम्पन्न परिवार से आते हैं, लेकिन बोरिवली की गलियों में क्रिकेट खेलने वाले इस युवा को कई संघर्ष से गुजरना पड़ा और आज वह देश का कप्तान है.
भारतीय टीम ने एक साल पहले ऑस्ट्रेलिया को गाबा के मैदान में मात देकर इतिहास रचा था, जो 32 साल में नहीं हो पाया था उसे टीम इंडिया ने कर दिखाया था. इस ऐतिहासिक जीत पर हाल ही में एक डॉक्यूमेंट्री रिलीज़ हुई थी ‘Down Underdog Story’. इसी में बात करते हुए मशहूर एंकर गौरव कपूर एक बात कहते हैं कि जब भी आप बैकफुट पर जाएं या आप कोई पंच खाएं, तो वो ऐसा होना चाहिए कि आप पूरी तरह ज़मीन में धंस जाए, क्योंकि तब आपके पास बाउंसबैक करने का अलावा कोई रास्ता बचता ही नहीं है. हम यहां उस सीरीज़ की बात नहीं करेंगे, लेकिन एक ऐसे खिलाड़ी की बात करेंगे जिस पर गौरव कपूर की कही ये बात बड़ी ही सटीक बैठती है. भारतीय टीम का नया महाराज, रोहित शर्मा. जो एक नया इतिहास रचने जा रहा हैं, टीम की कमान अब रोहित शर्मा के हाथ में आ रही है. साल 2011 का वर्ल्डकप, जिसे भारतीय टीम ने जीता. उसके लिए जब टीम का ऐलान हुआ था, तब रोहित शर्मा का नाम उसमें शामिल नहीं था. रोहित शर्मा के लिए पंच खाने का मोमेंट यही था, उस वक्त उन्होंने एक ट्वीट किया था कि अब आंकलन का मौका आ गया है. उस बात को दस साल हो गए हैं, आज रोहित शर्मा भारतीय टीम के कप्तान हैं और अगले एक साल में उनपर भारत को दो वर्ल्डकप में जीत दिलाने का जिम्मा है. जो खिलाड़ी वर्ल्डकप की टीम में जगह नहीं बना पाया था, वो कैसे वर्ल्डकप में जाने से पहले भारतीय टीम का कप्तान बन गया. रोहित शर्मा के इस पूरे सफर को साथ जीते हैं... बोरिवली का डॉन रोहित शर्मा साल 1999 में मुंबई के बोरिवली स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एसोसिएशन (BSCA) की तरफ से एक बच्चा ऑफ स्पिनर के तौर पर टीम में खेल रहा था, तब वहां पर अलग-अलग कोचिंग कैंप चल रहे थे और उन्हीं के प्लेयर्स के बीच स्कूलों वाला टूर्नामेंट खेला जाता था. ये ऑफ स्पिनर रोहित शर्मा था, जिसे बाद में दुनिया ने हिटमैन के नाम से जाना. तब 800 रुपये महीने के हिसाब से क्रिकेट सिखाया जाता था, क्योंकि रोहित शर्मा के माता-पिता बोरिवली से काफी दूर रहते थे तो वह अपने चाचा के घर ही रहते थे, ताकि वह क्रिकेट की प्रैक्टिस कर सके. यहां पर ही एक दिन दिनेश लाड, जिनके अंडर में कोचिंग लिए कई खिलाड़ी टीम इंडिया के लिए खेल चुके हैं या घरेलू क्रिकेट में जलवा बिखेर रहे हैं. दिनेश लाड अपने स्कूल स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल के लिए टीम बना रहे थे, उन्हें एक दिन रोहित शर्मा ऑफ स्पिन करता हुआ दिखा जो आखिरी ओवर्स में भी अपनी टीम के लिए रन बचा रहा था. बॉलिंग को देखकर ही दिनेश लाड ने रोहित शर्मा से बात की, वह उनके मम्मी-पापा से मिलना चाह रहे थे लेकिन रोहित ने बताया कि वह यहां नहीं है, तो दिनेश लाड ने रोहित के चाचा से मिलने की कोशिश की. दिनेश लाड के कहने पर रोहित को स्वामी विवेकानंद स्कूल में जोड़ने की कोशिश की गई, ताकि वह क्रिकेट टीम का हिस्सा बन सके. लेकिन सारी दिक्कत पैसों की थी, क्योंकि इस स्कूल की फीस 275 रुपये प्रति महीने थी, लेकिन रोहित का परिवार ये नहीं दे सकता था. तब दिनेश लाड की अपील पर किसी तरह स्कूल ने रोहित शर्मा की फीस को माफ किया, वह पहला ऐसा बच्चा था जिसे सिर्फ क्रिकेट टीम में शामिल करने के लिए स्कूल में मुफ्त में एडमिशन दिया गया. दिनेश लाड ने जिस बच्चे को सिर्फ कुछ ओवर ही ऑफ स्पिन डालते देखा, उसके लिए उनकी पहली कोशिश सफल हो गई थी.

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच वनडे सीरीज का तीसरा और निर्णायक मैच अब शनिवार (6 दिसंबर) को वाइजैग (विशाखापत्तनम) में है. रांची में भारत जीता और रायपुर में अफ्रीकी टीम ने जीत दर्ज की. वाइजैग के साथ भारत के लिए एडवांटेज यह है कि यहां टीम का रिकॉर्ड शानदार है. यहां कोहली-रोहित चलते हैं, साथ ही 'ब्रांड धोनी' को पहली बड़ी पहचान यहीं मिली थी.












