
'2 जून की रोटी' के लिए आज कर लीजिए ये 5 काम, जिंदगी में फिर ऐशो-आराम!
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इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल ठहरकर भविष्य के बारे में भी सोचने की जरूरत है. खुद सोचिए क्या जिस तरह से आज आप जिंदगी जी रहे हैं, अगले 20 साल के बाद भी ऐसा ही चलता रहेगा. बिल्कुल नहीं, क्योंकि हर चीज के लिए एक उम्र होती है.
आज 2 जून है, और 'दो जून की रोटी' की खूब बात हो रही है. यह एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है कि नसीब से दिनभर में दो टाइम खाना मिलना. लेकिन ये कहावत है, अब दुनिया तेजी से बदल रही है. अब लोग भविष्य में दो जून की रोटी की कमी न हो, इसके लिए भी सोचते हैं और फ्यूचर प्लान करते हैं. अगर आप भी आज 2 जून के मौके पर ये 5 कदम उठा लेंगे, तो फिर जिंदगी ऐशो-आराम कटेगी. दरअसल हर कोई चाहता है कि उसका भविष्य उज्ज्वल हो. इस मॉडर्न युग में तेज रफ्तार से जिंदगी भाग रही है. लेकिन इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कुछ पल ठहरकर भविष्य के बारे में भी सोचने की जरूरत है. खुद सोचिए क्या जिस तरह से आज आप जिंदगी जी रहे हैं, अगले 20 साल के बाद भी ऐसा ही चलता रहेगा. बिल्कुल नहीं, क्योंकि हर चीज के लिए एक उम्र होती है.
जब आप कमाते हैं, तो खर्च से पीछे नहीं हटते, चाहे वो जरूरी हो या न हो. लेकिन सोचिए जब आपकी कोई आय नहीं होगी, तो फिर जरूरत की चीजें भी कैसे खरीदेंगे. इसका एक ही रास्ता है बचत. यानी आज बचत कल मौज! इसलिए आज ही इन 5 फैसलों पर अमल कर लें, फिर भविष्य गुलजार रहेगा.
पहला काम- जितनी आमदनी उसी में बचत अगर आप ये सोच रहे हैं कि आमदनी बढ़ेगी तब निवेश करेंगे, तो ये सोच गलत है. जितनी आमदनी में उसी में बचत करना शुरू कर दें. अगर आपकी सैलरी 30 हजार रुपये है तो मानकर चलिए काफी है. उसी में से हर हाल 20 फीसदी बचाइए, यानी हर महीने सबसे पहले निवेश के लिए सैलरी में से 6000 रुपये निकाल दें. अगर 50 हजार रुपये महीने सैलरी है तो 10 हजार रुपये हर महीने जरूर बचाइए. इसी तरह अगर 100000 रुपये सैलरी है तो हर महीने कम से कम से 20 हजार रुपये जरूर बचाएं.
दूसरा काम- 'खर्च' और 'फिजूल खर्च' की करें पहचान कम सैलरी वाले कैसे पैसे बचाएं. इसका सरल जवाब है, 'खर्च' और 'फिजूल खर्च' के बीच के अंतर को समझें. हर आदमी को ये मानकर चलना चाहिए कि वो किसी न किसी तरह से फिजूल खर्च करता है. एक अनुमान के मुताबिक, अधिकतर लोग अपनी आमदनी या सैलरी का कम से कम 10 फीसदी हिस्सा फिजूलखर्च कर देता है. जिसे आप बचा सकते हैं. उन खर्चों को जोड़िए, जो बेहद जरूरी नहीं है. लेकिन उसपर आप खर्च कर देते हैं. हम यहां कुछ उदाहरण दे रहे हैं, जिसे आप फिजूलखर्च मान सकते हैं.
बाहर खाना: बड़े शहरों में बाहर खाने का कल्चर तेजी से आगे बढ़ रहा है. अब तो लोग घर बैठे भी ऑनलाइन खाना मंगवा लेते हैं. हालांकि कभी-कभी खाना मंगाकर खाना मजबूरी हो सकती है. लेकिन अधिकतर लोग मेहनत करने से बचते हैं, और बाहर जाकर खाना खा लेते हैं, या फिर ऑनलाइन ऑर्डर कर देते हैं. इसपर लगाम लगा सकते हैं. बाहर जितने पैसे खाने पर खर्च करते हैं, उससे एक चौथाई की लागत पर घर में खाना बनकर तैयार हो जाएगा.
सैर-सपाटा: अक्सर लोग देश-विदेश घूमने में मोटी रकम खर्च कर देते हैं. हर महीने Fun के नाम पर घूमने निकले जाते हैं. फिर ऐसे लोगों की सबसे बड़ी शिकायत होती है कि पैसे नहीं बचते. आप खुद सोचें कि इस मद में आप हर महीने कितने खर्च करते हैं. इस बचाने की कोशिश करें.

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