फिर विराट कोहली साबित हुए महान, क्या बन रहे हैं क्रिकेट के अगले 'भगवान'?
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'महानायक' विराट कोहली की मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर बेहद मुश्किल परिस्थितियों में खेली गई 82 रनों की अटूट पारी ने क्रिकेट की दुनिया को एक बार फिर बता दिया है कि वह इस जेंटलमेन गेम में एक के बाद एक इतिहास लिखने के लिए ही बने हैं. पाकिस्तान के खिलाफ उनकी इस यादगार पारी की बदौलत टीम इंडिया ने टी20 वर्ल्ड कप के अपने पहले मैच में पाकिस्तान को धूल चटाई.
टी20 वर्ल्ड कप के अपने पहले ही मैच में टीम इंडिया ने कमाल कर दिखाया. पाकिस्तान के खिलाफ सांसें रोक देने वाले 'महामुकाबले' में विराट कोहली ने अविस्मरणीय पारी की बदौलत अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा दोबारा हासिल कर ली. फैंस तो मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के बाद उन्हें भी 'क्रिकेट का भगवान' कहने लगे हैं. 'महानायक' विराट कोहली की मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर बेहद मुश्किल परिस्थितियों में खेली गई 82 रनों की अटूट पारी ने क्रिकेट की दुनिया को एक बार फिर बता दिया है कि वह इस जेंटलमेन गेम में एक के बाद एक इतिहास लिखने के लिए ही बने हैं. पिछले 15 साल से जारी अपनी बेमिसाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट यात्रा के दौरान कोहली थोड़े खामोश पड़ गए थे. वह एक ऐसी पारी की तलाश में थे, जिसके आधार पर विराट होने के मायने को नए सिरे से गढ़ा जा सके..
विराट कोहली के बल्ले की फीकी पड़ती धार को लेकर फैंस में जो धारणा बन गई थी वह अब लगभग दरकने लगी है. कुछ दिन पहले की ही बात है जब लोग चर्चा कर रहे थे कि क्या विराट कभी वापसी कर पाएंगे..? क्योंकि वह एक सामान्य बल्लेबाज की तरह अपना विकेट बचाने के लिए जूझ रहे थे. टीम में उनकी मौजूदगी बोझ की तरह दिखने लगी थी. इससे पहले तक भारतीय क्रिकेट में विराट कोहली को लेकर कभी ऐसे सवालों से जूझने की कल्पना भी नहीं की गई थी.
कुछ दिन पहले तक विराट के विकेट तक आसानी से पहुंचती गेंद ऐसा आभास कराती हैं, जैसे इस कलाकार के हाथ से उसका ब्रश ही छीन लिया गया हो. विराट ने जिस स्टेज पर कामयाबियों की नई-नई इबारतें लिखी थीं, वहां वह असहाय-सा खड़ा दिख रहे थे. इस विराट से रू-ब-रू होना हर किसी के लिए बेहद तकलीफदेह था. लेकिन महानायक विराट को इस बात का पूरा एहसास था कि वो फिर से उस शिखर तक पहुंचेंगे. जिस तरह से वह नीचे उतरे हैं वह फिर से ऊंचाई को हासिल करेंगे. आखिरकार उसी क्षण को पकड़ने की बेताबी ने उन्हें फिर से शिखर तक पहुंचा दिया. तभी तो कोहली ने कहा कि यह शुरुआत है. शायद यही फर्क एक चैम्पियन और अच्छे खिलाड़ी में होता है.
मेलबर्न के सर्द भरे माहौल में कोहली महामुकाबले में कभी गेंद पर पूरी ताकत से प्रहार कर उसे सीमा रेखा से बाहर भेज रहे थे तो कभी गेंद को क्षेत्ररक्षण के बीच मौजूद दरार में धकेल तेजी से 22 गज का फासला तय कर रहे थे. ये विराट कोहली का लम्हा था जिसे वो डूबकर जी रहे थे. उनकी आत्मविश्वास से लबरेज, समर्पण और विदेशी सरजमीं पर देश के लिए कुछ कर गुजरजाने का जज्बे से भरी इस बल्लेबाजी ने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की 1998 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेली गई उस वनडे पारी की यादें ताजा कर दी. जब उन्होंने बेहद ही मुश्किल परिस्थितियों में 143 रन बनाए थे. क्रिकेट इतिहास में उनकी उस पारी को 'डेजर्ट स्टॉर्म' के नाम से जाना जाता है.
साल 1998 में कोका कोला कप का आयोजन शारजाह में किया गया था. इस त्रिकोणीय सीरीज में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की टीमों ने भाग लिया था. सीरीज का छठा मुकाबला 22 अप्रैल को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया. इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग करते हुए 7 विकेट पर 284 रन बनाए. ऑस्ट्रेलिया की तरफ से माइकल बेवन ने 101 रनों की नाबाद पारी खेली. मार्क वॉ ने 81 रन बनाए. भारत की तरफ से वेंकटेश प्रसाद सबसे सफल गेंदबाज रहे जिन्होंने 2 विकेट लिए थे.