पुताई मजदूर और हाउस मेड की बिटिया ने 12वीं में किया कमाल, स्कॉलरशिप पर पढ़कर स्कोर किए 94% नंबर
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Success Story: अपनी मुश्किलों पर शिवानी कहती हैं, ''हम लोग 'मैम' (जिनके घर में शिवानी की मां मेड का काम करती हैं) के घर में रहते थे. उन्होंने एक कमरा हमको रहने के लिए दिया था. मुझे पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो इसलिए मम्मी-पापा और भाई रात में कई बार कमरे से बाहर लॉन में ही सो जाते थे, जिससे मैं सुकून से पढ़ सकूं.''
Success Story: 'मंज़िलें उनको ही मिलती हैं जिनके सपनों में जान होती है.....!!' ये बात सटीक बैठती है लखनऊ की शिवानी वर्मा के लिए, जिन्होंने तमाम दुश्वारियों और कमज़ोर आर्थिक स्थिति के बावजूद पढ़ाई की अलख जगाकर रखी. शिवानी ने शुक्रवार को घोषित हुई सीबीएसई (CBSE) बोर्ड की परीक्षा में 94.4 प्रतिशत मार्क्स लाकर अपने माता पिता और शिक्षकों का नाम रोशन किया है और अपने सपनों को भी नई उड़ान दी है.
पिता करते हैं पुताई का काम, मां घरेलू सहायिका शिवानी के पिता एक पुताई मजदूर हैं जबकि मां घरेलू सहायिका यानी मेड का काम करती हैं. बचपन से ही पढ़ने में तेज शिवानी का परिवार उन्नाव का रहने वाला है लेकिन रोज़गार की तलाश में शिवानी के पिता को अपने परिवार के साथ लखनऊ आना पड़ा. नन्ही शिवानी की पढ़ाई उसी समय छूट जाती पर लखनऊ में 'प्रेरणा' स्कूल चलाकर वंचित बच्चों को पढ़ाई के लिए मदद करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद उर्वशी साहनी ने उनकी मदद की. बस यहीं से शिवानी के जीवन में नया मोड़ आ गया.
स्कॉलरशिप पर की पढ़ाई... शिवानी की मेधा से प्रभावित होकर उर्वशी साहनी ने उसको अपने प्रेरणा स्कूल में एडमिशन दे दिया. क्लास में सभी बच्चों को पीछे छोड़कर शिवानी ने महज़ दो साल में ही दूसरे स्कूल में अपने लिए जगह बना ली. स्टडी हॉल एजुकेशन फाउंडेशन (SHEF) की सीईओ उर्वशी साहनी ने अपने स्कूल स्टडी हॉल में शिवानी का न सिर्फ एडमिशन कराया, बल्कि उसकी पढ़ाई और फीस का भी खर्चा उठाया, लेकिन चुनौतियां अभी बाकी थीं. स्कूल यूनिफॉर्म और किताबों की जरूरतें हर कक्षा के साथ बढ़ती ही चली गईं जिन्हें पूरा करना मुश्किल था.
मिला कई लोगों का सहयोग... अपनी मुश्किलों पर शिवानी कहती हैं, ''हम लोग 'मैम' (जिनके घर में शिवानी की मां मेड का काम करती हैं) के घर में रहते थे. उन्होंने एक कमरा हमको रहने के लिए दिया था. मुझे पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो इसलिए मम्मी-पापा और भाई रात में कई बार कमरे से बाहर लॉन में ही सो जाते थे, जिससे मैं सुकून से पढ़ सकूं.'' शिवानी ने हर बाधा को पार करते हुए हाईस्कूल में भी बेस्ट ऑफ फाइव में 95% नंबर हासिल किए थे. शिवानी कहती हैं, 'मुझे खुशी है कि मैंने 94 प्रतिशन नंबर हासिल किए हैं, लेकिन मैं हिस्ट्री और इकोनॉमिक्स में बेहतर कर सकती थी.'
माता पिता के त्याग और उर्वशी आंटी के सहयोग से जारी रखी पढ़ाई... अपनी मुश्किलों की बात करते हुए शिवानी अपनी मां माधुरी देवी के योगदान का जिक्र खास तौर पर करती हैं. शिवानी कहती है 'मां दूसरों के घर में भी काम करतीं और अपने घर का भी सारा काम करतीं, लेकिन मुझसे कभी भी घर का कोई काम नहीं कराती थीं जिससे मैं अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगा पाऊं.' शिवानी अपनी सफलता का श्रेय सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविद उर्वशी साहनी को भी देती हैं, जिनके स्कूल में शिवानी की 12वीं तक की मुफ़्त शिक्षा हुई. शिवानी कहती है, 'अगर उर्वशी आंटी न होतीं तो इतनी फीस दे पाना मेरे मम्मी पापा के लिए संभव नहीं हो पाता.' शिवानी की पूरी फीस स्टडी हॉल स्कूल ने माफ कर दी है.
कोरोना काल में बढ़ी थीं मुश्किलें... कोरोना संकटकाल में फिर से शिवानी के परिवार के सामने मुश्किल आई जब परिवार को उन्नाव में अपने पैतृक गांव लौटना पड़ा. सारी जमापूंजी खर्च हो गई क्योंकि रोज़ाना दिहाड़ी पर काम करने वाले शिवानी के पिता बाल सिंह के पास कोई काम नहीं रहा. लेकिन लॉकडाउन खत्म होते ही शिवानी को लेकर उसके माता-पिता लखनऊ वापस आ गए जिससे उसकी पढ़ाई जारी रह सके. शिवानी कहती है कि उसकी सफलता का श्रेय उसके माता पिता के त्याग और उसकी लगातार मदद करने वाली उर्वशी आंटी को है. स्टडी हॉल स्कूल की प्रिंसिपल मीनाक्षी बहादुर कहती हैं कि शिवानी स्कूल की शाइनिंग स्टार है.
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