
जब वेस्टइंडीज के कैप्टन ने खून देकर बचाई भारतीय कप्तान की जान... कुछ ऐसा था 1962 का दौरा
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IPL और WTC फाइनल के बाद अब भारतीय टीम को वेस्टइंडीज दौरे पर जाना है. यह दौरा अगले महीने यानी जुलाई के पहले हफ्ते से शुरू हो जाएगा. भारतीय टीम वेस्टइंडीज दौरे पर 2 टेस्ट, 3 वनडे और 5 टी20 मैचों की सीरीज खेलेगी. दौरे का आगाज 12 जुलाई से होगा, जब दोनों टीमों के बीच सीरीज का पहला टेस्ट मैच खेला जाएगा....
India Tour of West Indies: दो महीने चले इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) और उसके ठीक बाद हुए वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) फाइनल के बाद अब भारतीय टीम एक महीने के आराम पर है. टीम इंडिया को अब सीधे वेस्टइंडीज दौरे पर जाना है. यह दौरा अगले महीने यानी जुलाई के पहले हफ्ते से शुरू हो जाएगा.
भारतीय टीम वेस्टइंडीज दौरे पर 2 टेस्ट, 3 वनडे और 5 टी20 मैचों की सीरीज खेलेगी. दौरे का आगाज 12 जुलाई से होगा, जब दोनों टीमों के बीच सीरीज का पहला टेस्ट मैच खेला जाएगा. टेस्ट के बाद वनडे और फिर आखिर में टी20 सीरीज खेली जाएगी.
बता दें कि टीम इंडिया का वेस्टइंडीज दौरा हमेशा से ही अपनी एक अलग छाप छोड़ता रहा है. वैसे तो भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज का अपना पहला दौरा जनवरी 1953 में किया था. तब 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में भारतीय टीम को 0-1 से हार मिली थी. मगर इनमें 1962 का दौरा काफी अलग रहा था.
कैरेबियाई मशहूर तिकड़ी 'थ्री डब्ल्यू'
दरअसल, 'थ्री डब्ल्यू' (Three Ws') के नाम से विख्यात 'तिकड़ी' में शामिल रहे कैरेबियाई दिग्गज सर फ्रैंक वॉरेल, सर क्लाइव वाल्कॉट और सर एवर्टन वीक्स ने पचास के दशक में विश्व क्रिकेट का सबसे मजबूत बल्लेबाजी क्रम तैयार किया था. वीक्स, वाल्कॉट और वॉरेल का जन्म बारबाडोस में अगस्त 1924 से लेकर जनवरी 1926 तक 18 महीनों के अंदर हुआ था. इन तीनों ने 1948 में तीन सप्ताह के अंदर टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था. आज तीनों इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन कैरेबियाई क्रिकेट को ऊंचाइयां देने में इस तिकड़ी के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.
वॉरेल: वेस्टइंडीज के पहले अश्वेत कप्तान

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच वनडे सीरीज का तीसरा और निर्णायक मैच अब शनिवार (6 दिसंबर) को वाइजैग (विशाखापत्तनम) में है. रांची में भारत जीता और रायपुर में अफ्रीकी टीम ने जीत दर्ज की. वाइजैग के साथ भारत के लिए एडवांटेज यह है कि यहां टीम का रिकॉर्ड शानदार है. यहां कोहली-रोहित चलते हैं, साथ ही 'ब्रांड धोनी' को पहली बड़ी पहचान यहीं मिली थी.












