Umesh Pal Murder Case: यूपी से बाहर जाना चाहते हैं अतीक अहमद के नाबालिग बेटे, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान खुलासा
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जुलाई 2023 में उमेश पाल हत्याकांड की चार्जशीट से खुलासा हुआ था कि उमेश पाल हत्याकांड की साजिश में अतीक अहमद के दोनों नाबालिक बेटे भी शामिल थे. यह भी पता चला है कि हत्या से तीन दिन पहले यानि 21 फरवरी को उमेश पाल की रेकी की गई थी. जिसमें सदाकत और असद के साथ अतीक के नाबालिग बेटे एहजम और अबान भी शामिल थे.
Umesh Pal Murder Case: देश की सबसे बड़ी अदालत में अतीक अहमद के दो नाबालिग बच्चों की कस्टडी के मामले पर सुनवाई चल रही है. अतीक अहमद की बहन शाहीन अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर अतीक के दोनों नाबालिग बच्चों की कस्टडी की मांग की है. इसी मामले की सुनवाई के दौरान पता चला है कि अतीक के दोनों नाबालिग बेटे यूपी से बाहर जाना चाहते हैं
सुनवाई के दौरान यूपी की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल सुप्रीम कोर्ट में मौजूद थे. कोर्ट का कहना है कि रिपोर्ट के मुताबिक दोनों बच्चे अच्छे स्कूल में जा रहे हैं. बच्चे अपने परिवेश के प्रति काफी जागरूक नजर आ रहे हैं, वे अच्छे स्कूलों में गए हैं. आख़िरकार अब उन्होंने कहा है कि वे राज्य से बाहर जाना चाहते हैं.
इस पर एडिशनल एडवोकेट जनरल (AAG) का कहना था कि उन्होंने वो रिपोर्ट नहीं देखी है. इसके बाद कोर्ट ने राज्य का पक्ष पूछा. तो एएजी का कहना था कि उन्हें (दूसरे पक्ष) अपील में आना चाहिए. इस सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य रिपोर्ट देख सकता है और फिर जवाब दे सकता है.
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार अदालत द्वारा नियुक्त सहायक व्यक्ति डॉ. केसी जॉर्ज ने इस पर बातचीत की और एक व्यापक रिपोर्ट दायर की है. जो इसमें शामिल है. इस सुनवाई के बाद ये साफ हो गया कि राज्य सरकार की ओर से पहले वो रिपोर्ट देखी जाएगी और फिर उसका जवाब सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जाएगा.
ये बात तो रही अदालत में सुनवाई की. अब आपको बताते हैं अतीक अहमद के उन दो नाबालिग बेटों के बारे में, जिन्हें लेकर सुप्रीम कोर्ट में कस्टडी का यह मामला पहुंचा और उस पर सुनवाई हो रही है.
नाबालिग बेटे ने बनाई थी फेसटाइम आईडी
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
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