
President Election: जब 37 में से 36 उम्मीदवारों ने वापस ले लिया नाम और देश को मिला इकलौता निर्विरोध राष्ट्रपति
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नीलम संजीव रेड्डी 1977 में देश के छठे राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे. उनके नाम देश के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड है. अगर इस बार एनडीए प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीत जाती हैं तो यह खिताब उनके नाम हो जाएगा.
नीलम संजीव रेड्डी देश के छठे राष्ट्रपति थे, जो 1977 से लेकर 1982 तक इस पद पर रहे. उनके साथ तीन और उपलब्धियां जुड़ी हैं. वह देश के एकमात्र राष्ट्रपति हैं, जो निर्विरोध चुने गए थे. वह सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति थे और देश के पहले गैर कांग्रेसी राष्ट्रपति भी थे. ऐसा नहीं था कि बहुत आसानी से उन्होंने चुनाव लड़ा और इस सर्वोच्च पद पर आसीन हो गए. उनके इस पद तक पहुंचने की पटकथा चुनाव से 8 साल पहले उस समय लिखनी शुरू हो गई थी, जब उन्होंने पहली बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा.
जब राजनीति से ले लिया था संन्यास
1969 में हुए राष्ट्रपति चुनाव को देश का अब तक का सबसे दिलचस्प राष्ट्रपति चुनाव माना जाता है. उस समय नीलम संजीव रेड्डी लोकसभा अध्यक्ष हुआ करते थे. डॉ. जाकिर हुसैन के आकस्मिक निधन के बाद राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा हुई तो उन्होंने ये चुनाव लड़ने के लिए 19 जुलाई 1969 को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.
भगवती शरण मिश्र अपनी किताब भारत के राष्ट्रपति में लिखते हैं कि 1969 में इंदिरा गांधी के खिलाफ देशभर में नाराजगी थी. उनके विरोधी एकजुट हो गए थे. उस समय कांग्रेस के इंदिरा विरोधी गुट ने राष्ट्रपति पद के लिए नीलम संजीव रेड्डी को उम्मीदवार चुन लिया. वहीं कांग्रेस का प्रत्याशी होने के बाद भी विरोधियों ने रेड्डी के नाम पर सहमति जता दी थी लेकिन इंदिरा गांधी उनके नाम को लेकर सहमत नहीं थीं.
दरअसल, इंदिरा गांधी चाहती थीं कि तत्कालीन उपराष्ट्रपति वीवी गिरि ही राष्ट्रपति बनें लेकिन उनके नाम पर कांग्रेस एकजुट नहीं थी इसलिए उन्होंने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया. इंदिरा गांधी ने भी उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन दिया. इतना ही नहीं इंदिरा ने वोटिंग से पहले मतदाताओं से अपील भी की कि वे वोट करने से पहले अपने अंतर्मन की आवाज सुनें. उनकी इस अपील से चुनाव का रुख बदल गया.

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