Navratri 2022: नवरात्रि में इस दिशा में ना रखें कलश और देवी की मूर्ति, इन गलतियों के भी अशुभ परिणाम
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Navratri 2022: आज से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और 5 अक्टूबर, बुधवार को इसकी समाप्ति होगी. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है. लेकिन नवरात्रि में वास्तु का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है कि माता की मूर्ति किस दिशा में लगाई जाए या माता का मंदिर कैसे तैयार किया जाए.
Navratri 2022: आज से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है और 5 अक्टूबर, बुधवार को इसकी समाप्ति होगी. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के समय घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है. नवरात्रि के दौरान देशभर में कई शक्ति पीठों पर मेले लगते हैं. लेकिन नवरात्रि में वास्तु का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी होता है कि माता की मूर्ति किस दिशा में लगाई जाए या माता का मंदिर कैसे तैयार किया जाए. तो आइए जानते हैं कि वास्तु के अनुसार नवरात्रि की कैसे तैयारी की जाए.
मूर्ति की स्थापना
नवरात्रि में माता की प्रतिमा या कलश की स्थापना हमेशा ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में करनी चाहिए. इस दिशा को देवताओं का स्थल बताया गया है. अखंड ज्योति की दिशा है आग्नेय कोण. माता की मूर्ति ईशान कोण में स्थापित इसलिए करनी चाहिए क्योंकि इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
मुख्य द्वार
नवरात्रि के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिन्ह लगाना चाहिए, उससे घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है. साथ ही घर का मुख्य द्वार आम के पत्तों से सजाए, जिससे घर सुंदर लगता है और घर में शुभता बनी रहती है.
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