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₹1600 करोड़ का सीक्रेट प्रोजेक्ट, DRDO के प्लान से थर्राया अमेरिका-फ्रांस; यहां चुपके से 'जेट इंजन' पर तगड़ा काम
Zee News
India Chalakere DRDO project: भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास में एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ने जा रहा है. देश को 2028 तक अपनी पहली एकीकृत रक्षा अनुसंधान 'ऑल्टीट्यूड टेस्ट फैसिलिटी' मिलने वाली है. कर्नाटक के चालाकेरे में बनने वाली यह सुविधा, भारत के लिए एक गेम चेंजर साबित होगी.
India Chalakere DRDO project: दशकों से, भारत को अपने जेट इंजनों और मिसाइलों का उच्च-ऊंचाई वाला परीक्षण करने के लिए विदेशी सुविधाओं, विशेष रूप से रूस के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एविएशन मोटर्स (CIAM), पर निर्भर रहना पड़ता था. इस निर्भरता के कारण परियोजनाओं में भारी देरी और लागत में बढ़ोतरी होती थी. अब, ₹1,600 करोड़ के प्रस्तावित निवेश के साथ, यह नई सुविधा भारत को अपनी धरती पर ही ऐसे परीक्षण करने की क्षमता देगी. यह न सिर्फ़ समय और धन बचाएगा, बल्कि स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास को भी अभूतपूर्व गति देगा.

Three new military bases: सिलिगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है. अब पूरी तरह एक मजबूत रणनीतिक किले में बदलने जा रहा है. सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका उत्तर-पूर्वी भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है. इसलिए इसकी सुरक्षा भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसी वजह से यहां तीन नए सैन्य स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं. जो भारत की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत हैं.

Indigenous Wamana AUV: पुणे की स्टार्टअप कंपनी सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने बड़ी जानकारी दी है. स्वदेशी वामना ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV) भारतीय नौसेना के सभी ट्रायल सफलतापूर्वक पास कर चुका है. कंपनी के फाउंडर कैप्टन निखिल पराशर ने बताया कि वामना का मूल्यांकन पूरा हो गया है. आने वाले महीनों में इसे नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा.

India Nuclear Missile Force: दुनिया में आज के समय में सभी देश अपनी सैन्य शक्तियों को मजबूत कर रहे हैं. भारत ने भी पिछले कुछ दशकों में अपनी सैन्य ताकत में काफी मजबूती लाई है. भारत की परमाणु क्षमता की चर्चा दुनिया में अक्सर होती है, लेकिन इसे गहराई के साथ काफी कम लोग ही जानते हैं. भारत ने सिर्फ अग्नि श्रृंखला ही नहीं बल्कि जमीन, समुद्र, हवा और क्रूज मिसाइल सिस्टम का एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया है.








