
'ममता की पुलिस ने मारपीट की, मेरी चूड़ियां तोड़ीं', नबान्न मार्च में आईं आरजी कर पीड़िता की मां का आरोप
AajTak
नबान्न से सटे इलाकों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई थी. हावड़ा और कोलकाता दोनों ही जगहों पर भारी भीड़ देखी गई. राज्य पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को पश्चिम बंगाल सचिवालय के आस-पास नहीं आने दिया.
कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज में पिछले साल बलात्कार और हत्या की शिकार हुई महिला ट्रेनी डॉक्टर के माता-पिता ने शनिवार को पश्चिम बंगाल सचिवालय (नबान्न) तक मार्च निकाला. इस दौरान कोलकाता पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड्स लगाकर सचिवालय तक जाने से रोकने की कोशिश की, तो उन्होंने रास्ते में लगीं रुकावटें फांदकर नबान्ना की ओर मार्च करने का प्रयास किया.
इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प देखने को मिली. पीड़िता की मां ने आरोप लगाया कि पुलिस ने बिना उकसावे के उन पर हमला किया और उनकी चूड़ियां तोड़ दीं. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिसमें बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी सहित कई भाजपा नेता शामिल थे. अधिकारी ने दावा किया कि भाजपा विधायकों पर लाठीचार्ज किया गया और पुलिस कार्रवाई में पीड़िता के माता-पिता घायल हो गए.
नबान्न तक जाना चाहते थे पीड़िता के माता-पिता
विरोध प्रदर्शन के दौरान, पीड़िता की मां ने कहा, 'ममता बनर्जी की पुलिस ने बिना उकसावे के मेरे साथ मारपीट की, मेरी चूड़ियां तोड़ दीं. वे हमें क्यों रोक रहे हैं? हम बस सचिवालय पहुंचना चाहते हैं, अपनी बेटी के लिए न्याय मांगना चाहते हैं.' तस्वीरों में पीड़िता के माता-पिता बैरिकेड्स के पीछे खड़े होकर पुलिस से पश्चिम बंगाल सचिवालय, नबन्ना की ओर मार्च करने की अनुमति मांगते हुए भी दिखाई दे रहे हैं. इस साल जनवरी में, विशेष सीबीआई अदालत ने कोलकाता पुलिस के एक सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 31 वर्षीय ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के आरोप में दोषी ठहराया.
यह भी पढ़ें: आरजी कर केस: 'केस छोड़ना चाहती है CBI...', पीड़िता के पिता का दावा, एक साल बाद भी इंसाफ का इंतजार
यह घटना 9 अगस्त, 2024 को हुई थी, जब महिला डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में अर्धनग्न अवस्था में मिला था. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पुष्टि हुई कि गला घोंटकर उसकी हत्या की गई थी. इस मामले को लेकर बड़े पैमाने पर जनआक्रोश को देखते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था. इस मामले में कॉलेज प्रिंसिपल को इस्तीफा देना पड़ा और राज्य सरकार की आलोचना भी हुई. इस घटना के एक वर्ष पूरे होने पर पीड़िता के माता-पिता ने प्रोटेस्ट मार्च निकाला. इस दौरान तब अशांति फैल गई, जब रैली निर्धारित विरोध स्थल से हटकर कोलकाता के व्यस्त इलाके पार्क स्ट्रीट की ओर बढ़ गई, जहां प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल सचिवालय की ओर मार्च करने के प्रयास में पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास किया.

'प्रधानमंत्री ओमान में, राहुल जर्मनी... दिल्ली बनी गैस चैंबर', प्रदूषण पर केजरीवाल ने दिया ये चैलेंज
अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में बिगड़ते प्रदूषण को लेकर बीजेपी और कांग्रेस पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि राजधानी गैस चैंबर बन चुकी है, लेकिन केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों बेपरवाह हैं. उन्होंने बीजेपी को प्रदूषण पर डिबेट करने का चैलेंज दिया है.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने सुरक्षा प्रोटोकॉल को सख्त कर दिया है. हिजाब विवाद के बाद मिली खुफिया जानकारी में कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा मुख्यमंत्री को नुकसान पहुंचाने की आशंका जताई गई है. सुरक्षा समीक्षा के बाद स्पेशल सिक्योरिटी ग्रुप (SSG) के घेरे को मजबूत किया गया है और सोशल मीडिया समेत सभी स्तरों पर निगरानी बढ़ाई गई है.

जम्मू के मिनी टाउनशिप में दुकान नहीं मिलने से नाराज एक व्यक्ति ने टेलीकॉम टावर पर चढ़कर विरोध प्रदर्शन किया. सालों से कार में सामान बेचने वाले व्यक्ति को आवंटन सूची से बाहर रखा गया था. पुलिस और प्रशासन के आश्वासन के बाद उसे सुरक्षित नीचे उतारा गया. डिप्टी कमिश्नर ने मामले पर विचार का भरोसा दिया जिसके बाद प्रदर्शन करने वाला व्यक्ति शांत हुआ.

महाराष्ट्र के चंद्रपुर में कर्ज चुकाने के लिए किडनी बेचने का दावा करने वाले किसान रोशन कुदे की मेडिकल जांच में पुष्टि हुई है कि उसके पास केवल एक किडनी है. मामले में छह साहूकार गिरफ्तार किए गए हैं. पुलिस मानव अंग तस्करी और अवैध कर्ज वसूली के एंगल से जांच कर रही है. दावे के मुताबिक इस किसान ने साहूकारों से 50 हजार का कर्ज लिया था जो ब्याज के साथ बढ़कर 74 लाख रुपये तक पहुंच गया.

सुप्रीम कोर्ट ने बोतलबंद पानी की गुणवत्ता से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश में पीने के पानी की उपलब्धता प्राथमिकता है और बोतलबंद पानी के मानकों पर विचार करने के लिए सक्षम प्राधिकरण मौजूद है। याचिका में बोतलबंद पानी के पुराने मानकों और प्लास्टिक से रिसने वाले रसायनों के स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर चिंता जताई गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को संबंधित प्राधिकरण के समक्ष अपनी बात रखने की सलाह दी।








