भारत में कितने लोग एक से ज्यादा शादियां करते हैं? जानें कहां सबसे ज्यादा है चलन
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असम सरकार बहुविवाह पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कुछ दिन पहले बताया कि एक कमेटी बनाई जाएगी, जिसका काम ये जांचना होगा कि ये प्रतिबंध कैसे लगाया जा सकता है? ऐसे में जानते हैं कि बहुविवाह पर आंकड़े क्या कहते हैं? और बहुविवाह को लेकर अलग-अलग धर्मों में क्या प्रावधान है?
असम में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की कवायद शुरू हो गई है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बहुविवाह पर रोक लगाने का रास्ता तलाशने के लिए एक कमेटी बनाने की बात कही है. समिति को रिपोर्ट सौंपने के लिए छह महीने का समय दिया गया है. सीएम हिमंता ने कहा कि ये प्रतिबंध किसी खास समुदाय के लिए नहीं होगा, बल्कि पूरी बहुविवाह प्रथा के खिलाफ लगाया जाएगा.
बहुविवाह पर रोक क्यों चाहती है असम सरकार?
मुख्यमंत्री हिमंता ने कहा कि बराक घाटी के तीन जिलों और होजई और जमुनामुख के इलाकों में बहुविवाह प्रचलित हैं. हालांकि, शिक्षित वर्ग में इसकी दर बहुत कम है और स्थानीय मुस्लिम आबादी के बीच भी ये इतनी मौजूद नहीं है.
सरमा ने दावा किया कि बहुविवाह इस्लामी कानून का जरूरी हिस्सा नहीं है और यहां तक कि पैगम्बर मोहम्मद ने भी एकविवाह को प्राथमिकता दी है.
उन्होंने ये भी बताया कि बाल विवाह के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में सामने आया कि बहुत से बुजुर्गों ने कई शादियां की थीं और उनकी पत्नियां ज्यादातर युवा लड़कियां थीं जो समाज के गरीब तबके से आती हैं.
उन्होंने कहा कि राज्य में आज भी कई आदिवासी समुदायों में बहुविवाह का प्रचलन है. हालांकि, अब ये समुदाय की बजाय व्यक्तिगत हो सकता है. उन्होंने कहा, ऐसे भी कई मामले हैं जहां पुरुषों की पहली पत्नी है और चूंकि बहुविवाह पर रोक है, इसलिए वो बगैर शादी किए दूसरी महिलाओं के साथ रहते हैं. लिहाजा, बहुविवाह प्रचलित है और समिति औपचारिक और अनौपचारिक, दोनों तरह के बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के तरीके भी सुझाएगी.
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