
नेत्रहीन बेटी के लिए रातभर जागकर थीसिस लिखते थे पिता, अब PHd पूरी कर किया सिर ऊंचा
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रायपुर के गुढ़ियारी में जनता कॉलोनी मे रहने वाली देवश्री जन्म से ही नेत्रहीन हैं. उन्हें पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से PHd की उपाधि प्राप्त हुई है. उनके पिता ने थीसिस लिखने में उनका सहयोग किया जिसे वे अपनी कामयाबी का श्रेय लॉन्च देती हैं.
Success Story: रायपुर, छत्तीसगढ़ के गुढ़ियारी में जनता कॉलोनी में रहने वाली देवश्री भोयर ने को PHd की उपाधि से सम्मानित किया गया है. उनकी यह उपलब्धि बेहद खास है क्योंकि देवश्री जन्म से नेत्रहीन हैं इसलिए उनके पिता ने थीसिस लिखने में उनका सहयोग किया. देवश्री ने इस सम्मान का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है. उन्होंने कहा, 'माता-पिता ने हमारा हौसला बढ़ाया और हमको हिम्मत दी. उनकी वजह से ही हम इस मुकाम तक पहुंचे हैं.' अपनी सफलताओं के लिए देवश्री ने अपने परिवार और अपने पिता को श्रेय दिया है.
देवश्री ने कहा कि लगातार संघर्ष और दृढ़ संकल्प से उन्होंने इस मुकाम को हासिल किया है. आज जब उनके नाम के आगे डॉक्टर लिखा हुआ है तो वह बेहद खुश हैं. उनसे ज्यादा खुश उनके परिवार के लोग हैं. वह समाज में कुछ सार्थक करना चाहती हैं, बावजूद इसके कि ईश्वर ने उन्हें आंखों की रोशनी नहीं दी है. वह दूसरों की तरह दुनिया को नहीं देख सकतीं, इसके बावजूद वह दुनिया को बेहतर और खुशहाल बनाना चाहती हैं.
रायपुर के गुढ़ियारी में जनता कॉलोनी मे रहने वाली देवश्री जन्म से ही नेत्रहीन हैं. उन्हें पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से PHd की उपाधि प्राप्त हुई है. राजधानी रायपुर की रहने वाली देवश्री ने कहा, 'आज मैं जो कुछ भी हूं, अपने माता-पिता की बदौलत हूं. उन्होंने हमारा हौसला बढ़ाया और मेरे को हिम्मत दी. उन्होंने कहा नेत्रहीन हो तो क्या हुआ. रात दिन मेहनत करके हमारे माता-पिता ने हमको इस मुकाम तक पहुंचाया.'
देवश्री ने कहा, 'मेरे पिता की एक छोटी सी दुकान है और छोटा सा मकान है. हम लोग उसी घर में रहते हैं. उसी दुकान से हमारे पापा परिवार का पालन पोषण करते हैं. मेरे पापा दुकान भी चलाते थे और समय निकाल कर हमको पढ़ाते भी थे. कभी 2 घंटे तो कभी 5 घंटे तो कभी 10 घंटे मेरे को पढ़ाते थे. आज जब मुझे PHd की उपाधि मिली तो मेरे पापा की मेहनत रंग लाई है.'
देवश्री ने बताया कि एक नेत्रहीन होने के नाते उन्हें दुनिया को देखने का दूसरा और बेहतर नजरिया मिला है. जब आम लोग दुनिया की चकाचौंध में खो जाते हैं तो वह उन चीजों पर फोकस करती है जो कि यथार्थ और असली हैं. यही कारण है कि उन्होंने PHd करने का मन बनाया और उनके पिता ने भी उनकी इस इच्छा को न सिर्फ सपोर्ट किया, बल्कि इस काम में वह पूरी शिद्दत से लगे रहे.
रात भर जागकर नेत्रहीन बेटी की थीसिस पिता ने लिखी अपनी PHd उपाधि के बाद एक नेत्रहीन लड़की ने जो सच्चाई मीडिया के सामने बताई, उससे एक आम परिवार को काफी प्रेरणा मिल सकती है. देवश्री ने बताया कि पूरे दिन थका देने वाला काम करने के बाद जब उनके पिता घर पहुंचते तो उन्हें बेहद कम रोशनी में रात को जाग कर अपनी बेटी के लिए उसकी PHd की थीसिस लिखनी होती थी. यह सब एक पिता तभी कर पाता है जब वह अपनी बच्ची के लिए एक बेहतर और सुनहरा भविष्य देख पाता है. बावजूद इसके कि उसकी खुद की बेटी दुनिया को देख पाने में असक्षम है.

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