
दो दोस्तों ने छोटे से कमरे में साथ की पढ़ाई, पहले बने पुलिस कप्तान, अब हैं IAS
AajTak
इस साल यूपीएससी के रिजल्ट में दो युवा जो मुखर्जी नगर में आकर सेम इंट्रेस्ट के कारण दोस्त बने. दोनों ही पुलिस कप्तान थे. नौकरी से पढ़ाई के लिए छुट्टी ली और पहले ही अटेम्प्ट में आईएएस निकाल दिया. जानिए इन दोनों दोस्तों की कहानी...
आईपीएस को मिलने वाला रुतबा और पॉवर भुलाकर ये दोनों दोस्त फिर से लौटकर मुखर्जीनगर आए. यहां आकर फिर से स्टूडैंट की साधारण जिंदगी दोबारा जीना शुरू किया. वजह सिर्फ वो ध्येय था जिसे लेकर मुखर्जी नगर आए थे. दोनों का सपना आईएएस बनना था.
जहां प्रिंस का ये मेरा चौथा अटेंप्ट था. उन्होंने बताया कि इससे पहले मैं आईएएस रैंक पाने में असफल रहा. आईपीएस रैंक मिलने के बाद भी मेरे मन में कहीं आईएएस बनने की कसक छूट गई थी, इसलिए मैं वापस यहां लौटा. यहां की लाइफस्टाइल हमें इतनी खराब नहीं लगती क्योंकि यहां इस इलाके में सभी ऐसे ही रहते हैं. इसलिए हम इसे सामान्य मान लेते हैं.
मुझे आईएएस ही बनना था... वहीं राजस्थान के संवाई माधौ जिले के गगन मीना को भी लास्ट इयर आईपीएस मिला. वो भी बिहार के प्रिंस की ही तरह कप्तान थे, लेकिन दोनों ने एक्स्ट्रा आर्डनरी सर्विस लीव लेकर एक और अटेंप्ट देने की सोची. गगन ने कहा कि नेशनल पुलिस अकेडमी ये चांस देती है कि स्पेशल लीव लेकर आप एक और अटेंप्ट दे सकें. गगन कहते हैं कि मेरा सपना आईएएस बनना ही था. मेरे पिता जी खेती करते हैं, घर में सभी कह रहे थे कि अब बहुत हो गया. लेकिन मेरी प्रायोरिटी आईएएस बनने की थी. सच पूछिए तो मेरे परिचय में जिस सिविल सर्वेंट को मैंने जाना, वो मैं खुद ही था. मैं और किसी को पर्सनली रूप से जानता नहीं था.
बता दें कि प्रिंस के पिता मोटर साइकिल मैकेनिक हैं. दो भाई और एक बहन के परिवार में सबसे छोटे प्रिंस का खर्च उनके बड़े भाई जो कि इंजीनियर हैं, उन्होंने उठाया. प्रिंस कहते हैं कि मुझे भी लगा कि आईपीएस वाली सुविधाएं तो बाद में भी ले लूंगा लेकिन ये मेरा चौथा अटेंप्ट है, मुझे आईएएस बनने की लगन थी तो मैंने हार नहीं मानी. हम दोनों के अंदर जो जुनून था वो बना रहा.
आईपीएस की सुविधाएं छोड़ी दिल्ली का मुखर्जी नगर इलाका यूपीएससी की तैयारी कर रहे हिंदी मीडियम छात्रों का हब है. यहां आसपास के इलाकों वजीराबाद, परमानंद कॉलोनी, नेहरू विहार में हजारों छात्र आंखों में आईएएस बनने का सपना लेकर आते हैं. यहां के तकरीबन 25 गज की बहुमंजिला इमारतों में रहकर ये दोनों दोस्त तैयारी में डूबे रहे. प्रिंस कुमार और गगन मीना भी यहां इन्हीं उम्मीदों से पहुंचे थे. कुछ दिनों पहले रिजल्ट देखकर उन्हें लगा मानो उनका सपना सच हो गया है.
प्रिंस कुमार मुखर्जी नगर की एक इमारत के पांचवें फ्लोर में रहकर यूपीएससी की तैयारी में दिन रात जुटे रहे. प्रिंस अभी भी प्रीलिम्स की तैयारी कर ही रहे थे लेकिन रिजल्ट में जब उन्हें पता चला कि 89 रैंक आई तो लगा जैसे उनकी तपस्या पूरी हो गई हो. इसी तरह गगन भी एक कमरे में रहकर पढ़ रहे थे. इनकी यहीं दोस्ती हुई. दोनों दोस्तों ने साथ में तैयारी की है. इससे पहले बीते साल दोनों की रैंक कम आने के कारण आईपीएस की जॉब मिल गई थी.

भारत और यूरोप के वर्क कल्चर में फर्क को जर्मनी में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर कौस्तव बनर्जी ने 'जमीन-आसमान का अंतर] बताया है. उनके मुताबिक, भारत में काम का मतलब अक्सर सिर्फ लगातार दबाव, लंबे घंटे और बिना रुके डिलीवरी से जुड़ा होता है, जबकि जर्मनी और यूरोप में काम के साथ-साथ इंसान की जिंदगी को भी बराबर अहमियत दी जाती है.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo का संचालन शनिवार को भी पटरी पर नहीं लौट सका. संकट अब पांचवें दिन में पहुंच गया है और दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु व चेन्नई एयरपोर्ट पर यात्री रातभर अपने उड़ानों का इंतजार करते नजर आए. पिछले चार दिनों में एयरलाइन को 2,000 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं, जिससे करीब तीन लाख से ज्यादा यात्रियों की यात्रा योजनाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं.

iQOO 15 भारत में लॉन्च हो चुका है. हफ्ते भर यूज करने के बाद हमें ये कैसा लगा. इस रिव्यू में बताएंगे. आम तौर पर iQOO की इमेज गेमिंग स्मार्टफोन वाली है. लेकिन इस बार चीजें थोड़ी बदली हैं. इस रिव्यू मे जानेंगे कि ये फोन कैसा परफॉर्म करता है. पेपर पर ये फोन पावरफुल लगता है, लेकिन क्या असलियत में ये अच्छा परफॉर्म कर रहा है? आइए जानते हैं.

Aaj 6 December 2025 का पंचांग (Aaj ka Panchang): 6 दिसंबर 2025, दिन-शनिवार, पौष मास, कृष्ण पक्ष, द्वितीया तिथि रात 21.25 बजे तक फिर तृतीया तिथि, मृगशिरा नक्षत्र सुबह 08.48 बजे तक फिर आर्द्रा नक्षत्र, चंद्रमा- मिथुन में, सूर्य- वृश्चिक राशि में, अभिजित मुहूर्त- सुबह 11.51 बजे से दोपहर 12.33 बजे तक, राहुकाल- सुबह 09.36 बजे से सुबह 10.54 बजे तक, दिशा शूल- पूर्व.









