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दिल्ली से पहले भारत की राजधानी कौन थी और क्यों बदली गई? जानिए पूरी कहानी
Zee News
एक समय भारत की राजधानी दिल्ली नहीं बल्कि कोलकाता हुआ करती थी. ब्रिटिश राज में इसे प्रशासनिक केंद्र बनाया गया था. बाद में दिल्ली को इसकी भौगोलिक स्थिति और ऐतिहासिक महत्व के कारण राजधानी घोषित किया गया. ये बदलाव 1911 में किया गया, जिससे भारत के उत्तर भाग पर बेहतर नियंत्रण स्थापित किया जा सके.
जब भी हम भारत की राजधानी की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में सबसे पहले दिल्ली का नाम आता है. आज दिल्ली देश की राजनीतिक, प्रशासनिक और ऐतिहासिक राजधानी है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आजादी से पहले या ब्रिटिश राज में भारत की राजधानी कहां हुआ करती थी? बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि दिल्ली से पहले किसी और शहर को भारत की राजधानी माना जाता था.

Three new military bases: सिलिगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है. अब पूरी तरह एक मजबूत रणनीतिक किले में बदलने जा रहा है. सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका उत्तर-पूर्वी भारत को देश के बाकी हिस्से से जोड़ता है. इसलिए इसकी सुरक्षा भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है. इसी वजह से यहां तीन नए सैन्य स्टेशन स्थापित किए जा रहे हैं. जो भारत की रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत हैं.

Indigenous Wamana AUV: पुणे की स्टार्टअप कंपनी सागर डिफेंस इंजीनियरिंग ने बड़ी जानकारी दी है. स्वदेशी वामना ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV) भारतीय नौसेना के सभी ट्रायल सफलतापूर्वक पास कर चुका है. कंपनी के फाउंडर कैप्टन निखिल पराशर ने बताया कि वामना का मूल्यांकन पूरा हो गया है. आने वाले महीनों में इसे नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा.

India Nuclear Missile Force: दुनिया में आज के समय में सभी देश अपनी सैन्य शक्तियों को मजबूत कर रहे हैं. भारत ने भी पिछले कुछ दशकों में अपनी सैन्य ताकत में काफी मजबूती लाई है. भारत की परमाणु क्षमता की चर्चा दुनिया में अक्सर होती है, लेकिन इसे गहराई के साथ काफी कम लोग ही जानते हैं. भारत ने सिर्फ अग्नि श्रृंखला ही नहीं बल्कि जमीन, समुद्र, हवा और क्रूज मिसाइल सिस्टम का एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया है.









