
जानिए रूस की ऑर्थोडॉक्स चर्च को... कैसे अलग है पोप की चर्च से, रूस का ईसाई धर्म कितना अलग है
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत दौरे पर आ रहे हैं, जिसके बाद उनके धर्म को लेकर चर्चा की जा रही है. ईसाई धर्म तीन सम्प्रदाय में बंटा हुआ है. कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स ईसाई. पुतिन ऑर्थोडॉक्स ईसाई धर्म का पालन करते हैं, जो कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट से अलग है.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं. इस दौरान वे 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. इसके साथ ही कई अन्य कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे. समिट में भारत और रूस के बीच कई अहम समझौते भी होने हैं.
भारत दौरे पर पहुंच रहे पुतिन के धर्म को लेकर भी चर्चा हो रही है. दरअसल, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ईसाई धर्म का पालन करते हैं, लेकिन वे पश्चिमी देशों के ईसाई से अलग हैं. पुतिन ऑर्थोडॉक्स चर्च को मानते हैं, जो कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट्स चर्च से अलग है. ऐसे में सवाल उठता है कि ईसाई समुदाय कितने अलग-अलग सम्प्रदाय में बंटा हुआ और उनके बीच क्या अंतर है?
ईसाई धर्म कितने सम्प्रदाय में बंटा हुआ है ईसा मसीह में विश्वास करने वाले ईसाई धर्म के अनुयायी हैं, जो कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स तीन सम्प्रदाय में बंटे हुए हैं. कैथोलिक ईसाई, रोमन कैथोलिक चर्च को सर्वोच्च मानते हैं और पोप के नेतृत्व और अधिकार का पालन करते हैं. प्रोटेस्टेंट ईसाई सिर्फ बाइबिल को सर्वोच्च मानते हैं और ऑर्थोडॉक्स में एक अलग ईसाइयत की परंपरा है, जिसमें पोप को नहीं माना जाता है, लेकिन उनके पास कई स्वायत्त चर्चों का एक समूह है. ऑर्थोडॉक्स ईसाई सीधे ईसा मसीह और चर्च में विश्वास करते हैं.
कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट,ऑर्थोडॉक्स में अंतर
ईसाई धर्म के चर्च के इतिहास में, चर्च में दो बड़े बंटवारे हुए हैं. पहला 1054 में हुआ ग्रेट स्किज्म था जिसने ऑर्थोडॉक्स और कैथोलिक चर्चों को बांट दिया. अगला 1517 में रिफॉर्मेशन के साथ हुआ जिससे प्रोटेस्टेंट चर्च बने. ईसाई धर्म में कैथोलिक, प्रोटेस्टेंट और ऑर्थोडॉक्स के बीच नेतृत्व से लेकर धार्मिक अधिकार, धार्मिक संस्कार और बाइबल तक पर मतभेद हैं.
नेतृ्त्व की बात है तो कैथोलिक ईसाई रोपन पोप पर अपना विश्वास करते हैं, जिन्हें ईसा मसीह का प्रतिनिधि मानते हैं. प्रोटेस्टेंट ईसाई में कोई भी एक प्रतिनिधि नहीं होता है जबकि ऑर्थोडॉक्स ईसाई में चर्चा का अपना संगठन होता है. ईसा मसीह को चर्चा का प्रमुख मानते हैं. इस तरह ऑर्थोडॉक्स में प्रत्येक चर्चा का शासकीय निकाय होता है.

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