खून जमा देने वाली ठंड! यहां पत्थर बन जाती हैं खाने की चीजें, -71 डिग्री पहुंच जाता है पारा, VIDEO
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याकुत्स्क एक ऐसा शहर है, जहां पड़ने वाली ठंड की चर्चा दुनिया भर में होती है. इसकी वजह से यहां खाना तक जम जाता है. लोगों को इस दौरान तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. एक वीडियो में इसकी झलक देखने को मिली है.
दुनिया के कई देशों में इस समय भीषण ठंड पड़ रही है. लेकिन हम आज एक ऐसे शहर की बात करने वाले हैं, जो केवल और केवल अधिक ठंड होने की वजह से ही दुनिया भर में मशहूर है. यहां ठंड इतनी अधिक पड़ती है कि पारा -71 डिग्री तक पहुंच जाता है.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं कि रूस के याकुत्स्क शहर की. याकुत्स्क की तस्वीरें और वीडियो इस वक्त सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं. जिनमें लोग बता रहे हैं कि वह कितनी अधिक ठंड का सामना कर रहे हैं और इस दौरान उन्हें किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं. याकुत्स्क की रहने वाली एक लड़की की तस्वीर आज भी सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें उसकी पलकें जमी हुई दिख रही हैं. यहां ठंड के कारण पानी की बोतलें तक टूट गई हैं.
खाने का सामान तक जम गया तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि कैसे इस शख्स का ट्रैक्टर और इसकी दाढ़ी जम गई है. यहां पारा -71 डिग्री तक पहुंच गया है. यहां अंडे से लेकर मैगी और खाने की दूसरी चीजें भी जम गई हैं. याकुत्स्क की आबादी करीब 3.60 लाख लोगों की है. यह रूस के साइबेरिया के याकुटिका राज्य की राजधानी है. यहां रहने वाले लोगों के लिए अक्टूबर से अप्रैल तक का वक्त मुश्किलों भरा होता है. हालांकि, जुलाई तक पारा 24 डिग्री तक हो जाता है.
यहां सामान्य तौर पर सूर्योदय 10:30 बजे होता है लेकिन धूप कई दिनों तक नहीं दिखती. दोपहर 3 बजते-बजते सूरज डूब जाता है. सर्दी से बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं. जैसे विशेष प्रकार के इंसुलेटेड कपड़े पहनना, हिरण की खाल के बने जूते पहनना, फर के लंबे कोट और स्कार्फ पहनना. दिसंबर से फरवरी तक का वक्त और ज्यादा मुश्किलों भरा होता है. हालांकि इस दौरान नए साल या किसी त्योहार के वक्त रौनक कम नहीं होती है.
पीने के पानी की बात करें तो लोगों को इसके लिए बर्फ को गर्म करना पड़ता है. पहले लोग नदी से बर्फ के टुकड़े तोड़कर लाते हैं और फिर उसे गर्म करते हैं जिसके बाद उन्हें पीने का पानी मिलता है. लोगों का कहना है कि अगर वह बाहर निकलते हैं कि तो बीस मिनट में ही उनका चेहरा और उंगलियां सुन्न होने लगती हैं. इसलिए वह ज्यादा समय तक बाहर नहीं रहते. लोग रात के वक्त पब और नाइटक्लब भी जाते हैं. वहीं लोगों की सहूलियत के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी उपलब्ध है.
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