
केरल में नरेंद्र मोदी का कम से कम 10 सीट जीतने का दावा, हकीकत के कितनी नजदीक है BJP
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केरल की दोनों खास पार्टियां इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं. बीजेपी को लगता है कि राज्य के लोगों के बीच इस आधार पर वो मुख्य विपक्ष के किरदार में आ सकती है. इस एक बात के अलावा और कौन से आधार हैं जिनके बल पर पीएम मोदी इतनी बड़ी जीत का दावा कर रहे हैं?
दो महीने से भी कम समय में पीएम नरेंद्र मोदी मंगलवार को तीसरी बार केरल पहुंचे हुए हैं. तिरुवनंतपुरम में उन्होंने बहुत बड़ा दावा कर दिया है.मोदी ने कहा कि भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में केरल में दोहरे अंक में सीटें जीतेगी. मतलब कम से कम 10 सीटें बीजेपी यहां जीत सकती है. मोदी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन के नेतृत्व में एक महीने लंबी चली राज्यव्यापी पदयात्रा के समापन पर भाजपा कार्यकर्ताओं की एक रैली को संबोधित कर रहे थे. दक्षिण भारत की राजनीति को जो समझते हैं वो एक बार के लिए मोदी के दावे को हंसी मजाक समझ सकते हैं. पर बीजेपी समर्थक कहते हैं कि मोदी है तो मुमकिन है. और ये भी सही है कि नरेंद्र मोदी कोई भी बात यूं ही नहीं कहते हैं. उनका हर कदम शतरंज की भाषा में एक चाल होती है. मतलब उनका हर एक कदम आगे-पीछे और दाएं और बाएं सभी को प्रभावित करने वाला होता है. सवाल उठता है कि क्या मोदी केरल में 10 सीट बीजेपी को दिला सकेंगे. आखिर किस आधार पर नरेंद्र मोदी ऐसा दावा कर रहे हैं ? आइये देखते हैं उनके इस दावे का आधार क्या है?
त्रिशूर सहित 4 से 5 सीटें जीतने के करीब है बीजेपी
केरल में पिछले 2019 के लोकसभा चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी कम से कम 4 से 5 सीट जीतने के कगार पर पहुंच चुकी है. त्रिशूर एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है जहां भाजपा वामपंथियों और कांग्रेस के खिलाफ अपनी संभावनाएं तलाश रही है. 2019 के लोकसभा चुनावों में, भाजपा ने अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी को सीट से मैदान में उतारा और 2014 में पार्टी के दिग्गज नेता केपी श्रीसन के 11.15% के मुकाबले 28.2% वोट शेयर हासिल किया. इसी तरह एक अन्य संसदीय क्षेत्र जहां भाजपा अपनी संभावनाएं तलाश रही है वह तिरुवनंतपुरम है, जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर लगातार चौथी बार चुनाव जीतने की संभावना रखते हैं.
तिरुवनंतपुरम सीट पर पिछली दो बार से यानि कि 2014 और 2019 में लगातार भाजपा दूसरे नंबर पर रही .यहां सीपीआई (एम) तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी. 2014 में था जब पार्टी के दिग्गज नेता ओ राजगोपाल, जिन्हें 32.32% वोट मिले थे, थरूर से मामूली अंतर से हार गए, जिन्हें 34.09% वोट मिले थे. 2009 के चुनावों की तुलना में राजगोपाल ने अपने वोट शेयर में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि की थी. 2019 में, भाजपा के कुम्मनम राजशेखरन ने भी 31% से अधिक वोट हासिल किए, लेकिन फिर से थरूर से हार गए, जिन्हें 41% से अधिक वोट मिले थे.
सबरीमाला विरोध प्रदर्शन के कारण 2019 में भाजपा ने जिस संसदीय सीट को जीतने का माद्दा रखती है वह मध्य केरल में पथानामथिट्टा है. कांग्रेस के एंटो एंटनी 2009 से सीट जीत रहे हैं. 2019 में भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन को मैदान में उतारा. हालांकि वह तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन वह पार्टी का वोट शेयर 2014 के 15.95% से बढ़ाकर 28.97% करने में सफल रहे हैं. मतलब साफ है कि बीजेपी का आधार यहां तैयार हो रहा है.
भाजपा के लिए चौथी उम्मीद तिरुवनंतपुरम जिले की अट्टिंगल सीट है, जिस पर 2019 में कांग्रेस के अदूर प्रकाश ने वामपंथियों से यह सीट छीन ली थी. राज्य में भाजपा की महिला चेहरा शोभा सुरेंद्रन ने अट्टिंगल से चुनाव लड़ा और 24.18% वोट हासिल किए. पांच साल पहले पार्टी को मिले 10.6% से भारी बढ़ोतरी साबित कर रही है कि बीजेपी के लिए यहां जबरदस्त उम्मीद है. भाजपा के मजबूत प्रदर्शन का श्रेय सबरीमाला मुद्दे पर सीपीआई (एम) के खिलाफ हिंदुओं की नाराजगी को दिया गया. बीजेपी के लिए पांचवीं उम्मीद कासरगोड से भी है. बड़ी उम्मीद यहां इसलिए है क्योंकि बीजेपी ने केरल विधानसभा में पहली सीट यहीं हासिल कर इतिहास बनाया था.

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