
'अहंकारी BJP जनसमर्थन के लायक नहीं, कर्नाटक रिजल्ट से बहुत खुश हूं', नतीजों पर बोले बाबुल सुप्रियो
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पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कर्नाटक चुनाव के परिणाम को लेकर भाजपा पर जमकर हमला किया है. उन्होंने बीजेपी को गद्दार पार्टी बताया और कहा कि ऐसी अंहकारी पार्टी लोगों के समर्थन के लायक नहीं है. उन्होंने कर्नाटक की जनता को बधाई दी.
कर्नाटक चुनाव में भाजपा को मिली करारी शिकस्त पर विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया लगातार आ रही है. कभी बीजेपी के नेता रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने कर्नाटक चुनाव परिणामों पर खुशी जताई है. बंगाल सरकार में कैबिनेट मंत्री बाबुल सुप्रियो ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए उसे 'गद्दार पार्टी' करार दिया है. बाबुल ने कर्नाटक चुनाव के रिजल्ट पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस ने वहां अच्छा प्रदर्शन किया. सुप्रियो ने लिखा, 'भगवान कृष्ण ने हमें बदला लेना और अपने अधिकारों के लिए लड़ना सिखाया है.'
बाबुल सुप्रियो ने कहा, 'कर्नाटक में बीजेपी की बड़ी हार से बेहद खुश हूं. जी-हजूरी और चमचों की खातिर वफादार पार्टी कार्यकर्ताओं को अपमानित करने वाली अहंकारी, गद्दार पार्टी आम लोगों के समर्थन के लायक नहीं है. सब जानते हैं कि उन्होंने (BJP) अपने दिग्गज नेताओं के साथ कैसा व्यवहार किया. कम से कम 10 दिग्गज नेताओं की पहचान तो कोई भी कर सकता है जिन्हें वाजपेयी जी/आडवाणी जी द्वारा प्यार और सम्मान दिया गया था, लेकिन मौजूदा नेतृत्व ने क्रूरता से सबको दरकिनार और अपमानित किया. यहां तक कि भाजपा के ये पूर्व दिग्गज भाजपा विरोधी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने या उनके/उनकी नीतियों/रवैयों के खिलाफ दैनिक आधार पर ट्वीट करने से भी बचते हैं. कर्नाटक को बधाई-अच्छा काम.'
सुप्रियो ने आगे कहा, 'जैसा कि ममता बनर्जी ने सही सुझाव दिया है कि यदि किसी भी राज्य में जो पार्टी, या गैर-बीजेपी गठबंधन मजबूत है, उसे बीजेपी से आर-पार की लड़ाई लड़नी चाहिए..... ऐसा हुआ तो भाजपा भारत के अधिकांश क्षेत्रों से साफ हो जाएगी. पश्चिम बंगाल, हिमाचल, कर्नाटक रास्ता दिखा रहे हैं !! महाभारत में भगवान कृष्ण ने कहा था बदला एक शुद्ध भावना है !!
आपको बता दें कि बाबुल सुप्रियो जुलाई 2021 में बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था. बीजेपी और राजनीति दोनों को छोड़ने का दावा करने वाले बाबुल सुप्रियो ने दो महीने बाद बड़ा राजनीतिक दांव चला और सितंबर 2021 में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया. बाबुल ने अपने करियर की शुरुआत एक बड़े मल्टीनेशनल बैंक के साथ की थी. वहां पर उन्हें बैंकर की नौकरी मिल गई थी. सैलरी बढ़िया थी और वे काम भी अच्छा कर रहे थे. लेकिन उस नौकरी से बाबुल संतुष्ट नहीं थे, उनका मन कम ही लगता था. ऐसे में कुछ ही समय बाद बाबुल ने अपनी जिंदगी का पहला बड़ा फैसला ले लिया और नौकरी छोड़ दी. यहां से उन्होंने गायकी के क्षेत्र में कदम रखा और सफल भी रहे.
लेकिन फिर जब साल 2014 में मोदी युग शुरू होने जा रहा था, तब बाबुल सुप्रियो ने फिर अपनी जिंदगी में बड़ा फैसला लिया. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ले ली और फिर बंगाल की आसनसोल सीट से चुानव भी लड़ा.और 70 हजार वोटों से जीत लिया था. तब उन्होंने टीएमसी कीडोला सेन को बुरी तरह हराया था. उनकी उस जीत को बीजेपी ने भी अच्छे से भुनाया था और बाबुल को 43 की उम्र में ही मंत्री बना दिया.
लेकिन फिर आया सबसे बड़ा नाटकीय मोड़. इस साल हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई. अपना रिकॉर्ड जरूर सुधारा, लेकिन ममता की लहर को नहीं रोक पाई. बाबुल सुप्रियो भी अपनी सीट आसनसोल हार बैठे. ऐसे में हाईकमान में नाराजगी थी, वहां के स्थानीय नेताओं से भी तल्खी की खबरें आ रही थीं. आरोप- प्रत्यारोप का दौर था और सुप्रियो को भी हार के लिए जिम्मेदार बताया गया. यहां से बाबुल की नाराजगी शुरू हो गई थी. खुलकर कुछ नहीं बोल रहे थे, लेकिन रिश्तों में दरार थी.

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