अंत्येष्टि स्थल बन जाते तो गंगा में न तैरती लाशें
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मुख्यमंत्री योगी ने 27 जनवरी, 2020 को बिजनौर से गंगा यात्रा की शुरुआत करने के साथ गंगा के किनारे बसे गावों में शवदाह गृह निर्माण की योजनाओं को हरी झंडी दिखाई थी. लेकिन पिछले 15 महीनों के दौरान निर्धारित लक्ष्य के 20 फीसद गांवों में भी अंत्येष्टि स्थल बनकर तैयार नहीं हो पाए हैं.
चार साल पहले 19 मार्च, 2017 को मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सरकारी विभागों का प्रजेंटेशन देखकर समीक्षा शुरू की थी. इसी क्रम में 19 अप्रैल, 2017 को उन्होंने पंचायतीराज विभाग के प्रस्तुतीकरण में पंचायतों के सशक्तिकरण का संकल्प दोहराते हुए प्रत्येक चार पंचायतों पर एक चंद्रशेखर आजाद ग्रामीण विकास सचिवालय की स्थापना और 32,700 ग्राम पंचायत में कार्यालय भवनों का आधुनिकीकरण कराकर इंटरनेट, टीवी आदि आधुनिक संयंत्र उपलब्ध कराने की योजना तैयार करने के निर्देश दिए थे. इसी बैठक में मुख्यमंत्री योगी को पता चला कि प्रदेश की ग्राम पंचायतों में 450 में अंत्येष्टि स्थल बन चुके हैं जबकि इससे कहीं अधिक 521 ग्राम पंचायतों में अंत्येष्टि स्थलों का निर्माण लंबे समय से अटका पड़ा है. मुख्यमंत्री योगी ने फौरन पंचायत विभाग के अधिकारियों को लंबित अंत्येष्टि स्थलों का निर्माण कार्य पूरा करने के साथ प्रदेश के सभी पंचायतों में अंत्येष्टि स्थल का विकास करने की एक विस्तृत योजना बनाने का आदेश दिया था. योजना तैयार होकर हकीकत में तब्दील होने में करीब डेढ़ वर्ष का समय लग गया. मई, 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद पंचायतों में अंत्येष्टि स्थल बनाने की योजना ने गति पकड़ी. सितंबर, 2019 के पहले हफ्ते में तत्कालीन प्रमुख सचिव पंचायती राज अनुराग श्रीवास्तव ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश भेजकर 15 सितंबर, 2019 तक पंचायतों में अंत्येष्टि स्थलों का निर्माण पूरा करने को कहा था. पंचायती राज विभाग ने बहुद्देशीय पंचायत भवन, अंत्येष्टि स्थल निर्माण योजना और राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों से प्राप्त धनराशि को देने और इस्तेमाल करने के लिए लोक प्रबंधन तंत्र (पीएफएमएस) लागू किया था. ग्राम पंचायतों में अंत्येष्टि स्थल के निर्माण के लिए करीब 200 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया था.More Related News
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