Earthquake in Nepal: नेपाल में भूकंप के झटके, 4.3 थी तीव्रता
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नेपाल में गुरुवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. बताया जा रहा है कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.3 मापी गई. भूकंप का केंद्र काठमांडू से 161 किमी दूर बताया जा रहा है. हालांकि, अभी नुकसान की खबर नहीं आई है.
नेपाल में गुरुवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए. बताया जा रहा है कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.3 मापी गई. भूकंप का केंद्र काठमांडू से 161 किमी दूर बताया जा रहा है. हालांकि, अभी नुकसान की खबर नहीं आई है.
Earthquake of magnitude 4.3 occurred today 161 km WNW of Kathmandu, Nepal: National Center for Seismology pic.twitter.com/gDMoYbs7zq
नेपाल में भूकंप ऐसे वक्त पर आया, जब एक दिन पहले ही भूकंप ने अफगानिस्तान में तबाही मचा दी. अफगानिस्तान में बुधवार को आए भूकंप में कम से कम 1000 लोग मारे गए हैं. बताया जा रहा है कि यह दो दशक में सबसे भीषण भूकंप है. भूकंप के चलते 1500 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि आज इटली के अपुलिया में G7 शिखर सम्मेलन से इतर पीएम मोदी और इमैनुएल मैक्रों ने द्विपक्षीय बैठक की. दोनों नेताओं ने भारत-फ्रांस के द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की, जिसमें डिफेंस, न्यूक्लियर, स्पेस, एजुकेशन, क्लाइमेट एक्शन, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और कल्चरल इनीशिएटिव जैसे नेशनल म्यूजियम पार्टनरशिप और लोगों के बीच संबंधों में को बढ़ाने में सहयोग पर चर्चा की.
इटली में G7 देशों की बैठक में हिस्सा लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आमंत्रित हैं. दुनिया के सात सबसे समृद्ध देशों के इस संगठन का भारत वैसे हिस्सा नहीं, लेकिन वो लगातार मेहमान की तरह बुलाया जाता रहा. जानिए, हम क्यों नहीं बन रहे जी7 का सदस्य, और क्या वजह है, जो बाहरी होने के बाद भी हमें लगातार इनविटेशन मिलता रहा.
क्यों परेशान हैं ब्रिटेन में बसे 10 लाख हिंदू, आम चुनावों से ऐन पहले निकाला 7 मांगों वाला मेनिफेस्टो
ब्रिटेन में जुलाई के पहले हफ्ते में आम चुनाव होने जा रहे हैं. इससे पहले वहां के हिंदुओं ने एक मेनिफेस्टो जारी किया, जिसमें सरकार से लंबी-चौड़ी मांगें हैं. ये पहली बार है जब हिंदुओं ने भावी ब्रिटिश सरकार से सीधी डिमांड रखी. घोषणापत्र का मसौदा हिंदू फॉर डेमोक्रेसी ने बनाया, लेकिन इसका विरोध भी शुरू हो चुका है.
कुवैत के मीडिया के मुताबिक आग रसोई में लगी थी, अधिकांश मौतें धुएं के कारण हुईं. ये हादसा बुधवार की सुबह 4.30 बजे अल-अहमदी गवर्नरेट के अधिकारियों हादसे की सूचना दी गई थी. इसका मतलब ये आग अलसुबह लगी थी, जिस वक्त लोग नींद के आगेश में थे. कुवैत के मीडिया के अनुसार निर्माण कंपनी NBTC ग्रुप ने 195 से ज्यादा श्रमिकों के रहने के लिए बिल्डिंग किराए पर ली थी, जिनमें से अधिकांश केरल, तमिलनाडु और उत्तरी राज्यों के भारतीय रह रहे थे.
कुवैत में हुए भीषण अग्निकांड में अब तक 40 से ज्यादा भारतीय मजदूरों की जान जा चुकी. इस बीच कई रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि इमारत में क्षमता से ज्यादा मजदूरों को जबर्दस्ती रखा गया था. खाड़ी देशों में मजदूरों के रहने-खाने के हालात खास अच्छे नहीं. कुवैत समेत लगभग सभी गल्फ देशों में कफाला सिस्टम है, जो एम्प्लॉयर को कर्मचारी पर जरूरत से ज्यादा हक देता है.