
Dussehra 2025: रावण ने अमरत्व, विभीषण ने भक्ति! जानें- कुंभकर्ण ने क्यों ब्रह्मा से मांगी थी 6 महीने की नींद
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Dussehra 2025: रामचरितमानस के अनुसार, रावण को ब्रह्मा जी से अमरत्व का वरदान मिला था. इसलिए बार-बार तीर लगने के पर भी उसका अंत नहीं हो रहा था. रावण के साथ-साथ उसके भाई कुम्भकर्ण और विभीषण ने भी ब्रह्मा जी से खास वरदान मांगे थे.
Dussehra 2025: इस साल दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में हर साल आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाता है. त्रेतायुग में भगवान राम ने रावण का वध करके अपनी पत्नी सीता को उसकी कैद से आजाद करवाया था. रावण महाबलशाली और अत्यंत ज्ञानी था. उसके पराक्रम से तीनों लोकों में कोहराम मचा रहता था. रामचरितमानस के अनुसार, रावण ने घोर तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर लिया था और उनसे अमरत्व का वरदान मांग रखा था. इसलिए रावण का अंत लगभग असंभव था. इतना ही नहीं, रावण के साथ-साथ उसके भाई कुम्भकर्ण और विभीषण को भी ब्रह्मा जी से विशेष वरदान प्राप्त थे.
रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने एक चौपाई में लिखा है-
कीन्ह बिबिध तप तीनिहुँ भाई। परम उग्र नहिं बरनि सो जाई॥ गयउ निकट तप देखि बिधाता। मागहु बर प्रसन्न मैं ताता॥
अर्थ- तीनों भाई ने अनेकों प्रकार की बड़ी ही कठिन तपस्याएं की, जिसका कोई वर्णन नहीं किया जा सकता. इनकी तपस्या से ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और बोले- मैं तुम तीनों की तपस्या से अत्यंत प्रसन्न हूं. मांगो जो वरदान मांगना चाहते हो. तब रावण, कुम्भकर्ण और विभीषण ने अपनी-अपनी इच्छाएं बताई और वरदान मांगा.
तुलसीदास आगे लिखते हैं-
करि बिनती पद गहि दससीसा। बोलेउ बचन सुनहु जगदीसा॥ हम काहू के मरहिं न मारें। बानर मनुज जाति दुइ बारें॥

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