'हर वक्त एक्टिव, पर दिखते नहीं थे, क्या था इनका काम...', G-20 की सबसे खतरनाक सिक्योरिटी टीम HIT
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Delhi G20 Summit में तैनात HIT स्क्वॉड को मुंबई अटैक के बाद बनाया गया था. क्यों इनकी तैनाती की खबर बड़े-बड़े अधिकारियों को भी नहीं दी जाती? वो किस कमरे में हैं और उनकी असलियत क्या है ये सिवाय उनके कमांडर के और किसी को नहीं पता नहीं होता. चलिए जानते हैं HIT के बारे में विस्तार से...
दिल्ली में आयोजित जी-20 समिट का सफलतापूर्वक समापन हो गया है. विदेशी मेहमानों के लिए होटलों में देश की सबसे तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था का इंताम किया गया था. इसमें से एक थी HIT स्क्वॉड. यानी हाउस इंटरवेंशन टीम. HIT की टीम ने G-20 समिट शुरू होने से पहले ही दिल्ली के उन 23 होटल के अंदर अपना मोर्चा संभाल लिया था जहां तमाम राष्ट्राध्यक्ष ठहरने वाले थे.
HIT टीम के जवान हर होटल के अंदर चंद खास कमरों के अंदर मौजूद थे. पर वो किस कमरे में हैं और उनकी असलियत क्या है ये सिवाय उनके कमांडर के और किसी को नहीं पता था. इन्हें साफ हुक्म था कि किसी भी इमरजेंसी में ये सिर्फ अपने कमांडर का हुक्म मानेंगे. किसी हमले की सूरत में जो भी एक्शन होगा, उसके लिए ये सिर्फ अपने कमांडर से ही इजाजत लेंगे.
गोपनीयता इतनी थी कि G-20 की सुरक्षा में लगे बाकी सुरक्षा एजेंसियों तक को इनकी भनक भी नहीं थी. ज्यादातर HIT के जवान हर होटल के बीचों बीच ऐसे कमरों में मौजूद थे जहां से चारों तरफ वो नजर रख सकते थे. HIT स्क्वॉड के पास अमेरिकन ब्लॉक 17 पिस्टल, कॉर्नर शॉट्स पिस्टल, इजराइल की Tavor Tar-21 एसॉल्ट राइफल, इसके अलावा तमाम आधुनिक हथियार मौजूद थे. कमरों के अंदर अंधेरे में भी ये अपने टारगेट को आसानी से देख सकते थे.
बता दें, इस टीम का इस्तेमाल पहली बार G- 20 समिट के दौरान किया गया था. आइये इस HIT की पूरी कहानी जानते हैं.
26 नवंबर 2008, इस देश में पहली बार एक ऐसा आतंकवादी हमला हुआ था जिसमें पाकिस्तान से आए आतंकवादी मुंबई के नामचीन पांच सितारा होटलों में घुसकर मेहमानों पर अंधाधुंध गोलियां चला रहे थे. इस तरह के आतंकवादी हमलों से निपटने के लिए इससे पहले न हमारे पास कोई तजुरबा था और न ट्रेनिंग. मुंबई में हुए 26/11 के इस हमले में 166 लोगों की जान चली गई थी.
इसी हमले के बाद पहली बार ये सोचा गया कि भविष्य में अगर किसी होटल या बंद कमरे में कोई आतंकवादी घुस जाएं और वहां मौजूद लोगों को बंधक बना लें तो उससे कैसे निपटा जाए. अलग-अलग राज्यों की पुलिस, NSG कमांडोज, मरीन कमांडो, रैपिड एक्शन फोर्स और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों के पास ऐसे हमलों से निपटने का कोई तजुरबा नहीं था.
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