
शरद पवार, उद्धव, राज ठाकरे... एकनाथ शिंदे ने OBC नेताओं को क्यों दिया न्योता?
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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का पेच सुलझ नहीं पा रहा है. ओबीसी कोटे से मराठा आरक्षण ना दिए जाने की मांग उठाई जा रही है. यह सारा विवाद खत्म करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को यहां एक सर्वदलीय बैठक बुलाई और उसमें मराठों के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण पर आम सहमति बनाने पर जोर दिया. सरकार का कहना था कि भावनात्मक मुद्दे को हल करते समय अन्य समुदायों के मौजूदा कोटा में छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.
महाराष्ट्र में मराठा बनाम ओबीसी आरक्षण को लेकर उबाल है. इस बीच, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार की उपस्थिति में सर्वदलीय और ओबीसी नेताओं की बड़ी बैठक बुलाई. हालांकि, विपक्षी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) के नेताओं ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया है और पिछली बैठकों में हुई चर्चाओं पर स्पष्टता दिए जाने की मांग उठाई है. वहीं, सरकार का कहना था कि भावनात्मक मुद्दे को हल करते समय अन्य समुदायों के मौजूदा कोटा में कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.
महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी और सर्वदलीय बैठक के लिए शरद पवार, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे समेत सभी राजनीतिक दलों और ओबीसी संगठनों के वरिष्ठ नेताओं को न्योता भेजा था. हालांकि, विपक्षी नेताओं ने कहा कि वे तब तक इस बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं, जब तक उन्हें सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों को दिए गए आश्वासनों पर विस्तृत स्पष्टता नहीं मिल जाती.
मराठा आरक्षण पर आम सहमति बनाना चाहती है सरकार
महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. इससे पहले सरकार मराठा आरक्षण मुद्दे पर आम सहमति बनाना चाहती है. कुछ दिन पहले ही सरकार ने मराठा कोटा को लेकर आंदोलन करने वाले मनोज जारांगे की मांगों को स्वीकार कर लिया था. जरांगे की मांग थी कि मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी के तहत कोटा दिया जाए. वहीं, दूसरे पक्ष का कहना है कि मराठा समुदाय पिछड़ा समुदाय नहीं है, जिसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. महाराष्ट्र ने आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को पहले ही पार कर लिया है. वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल समेत ओबीसी नेता मराठों के साथ आरक्षण साझा करने का विरोध कर रहे हैं.
अन्य समुदाय के कोटा से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा देर रात एक बयान जारी किया गया है. सीएम एकनाथ शिंदे के हवाले से कहा गया कि मराठा समुदाय और ओबीसी के लिए आरक्षण का मुद्दा सिर्फ बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है. शिंदे ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि इस साल की शुरुआत में एक कानून के जरिए एक अलग श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को दिया गया 10 प्रतिशत आरक्षण कानून की कसौटी पर खरा उतरे. उन्होंने आश्वासन दिया कि मराठा समुदाय को आरक्षण की पेशकश करते समय अन्य समुदायों के कोटा में छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. शिंदे ने कहा कि निजाम के राजपत्रों की जांच के लिए 11 सदस्यीय टीम को हैदराबाद भेजा गया है, जहां मराठवाड़ा के लोगों के कुनबी रिकॉर्ड पाए जा सकते हैं. वर्तमान महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र निजाम के शासन के अधीन था.

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