
'वंदे मातरम' पर बहस... मुसलमानों को राष्ट्रीय गीत गाने में क्यों दिक्कत है?
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देश के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम पर सोमवार को संसद में चर्चा होनी है. इस गीत को लेकर सड़क से संसद तक माहौल गर्मा गया है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय वंदे मातरम गाने से साफ इनकार कर रहे हैं. इस्लामी स्कॉलरों का कहना है कि किसी भी सूरत में इस गीत को नहीं पढ़ेंगे, क्योंकि ये इस्लामी सिद्धांत के खिलाफ है. सवाल उठता है कि आखिर क्या-क्या दिक्कतें हैं?
भारत का राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' 150 साल पहले लिखा गया था. डेढ़ सौ साल पहले लिखे गए इस गीत को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है. 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में संसद में विस्तृत और विशेष चर्चा होगी. पीएम मोदी ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि 'वंदे मातरम' की आत्मा को तोड़कर अलग कर दिया गया, इस विभाजन ने ही देश के विभाजन के बीज बो दिए थे.
वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी स्कूलों में 'वंदे मातरम' के गायन को अनिवार्य करने का ऐलान कर कहा कि कोई भी धर्म राष्ट्र के ऊपर नहीं है. इसके बाद विवाद खड़ा हो गया. जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि 'वंदे मातरम' को अनिवार्य बनाने का तरीका उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं है तो सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने कहा कि 'वंदे मातरम' गीत में हमारे मजहब के खिलाफ शब्द हैं, इसलिए हम इस गीत को नहीं गाएंगे.
सवाल उठता है कि आखिर देश के मुसलमानों को 'वंदे मातरम' गीत गाने से क्यों दिक्कत है? इस गीत को पढ़ने से क्यों इनकार करते हैं? इस गीत में आखिर इस्लाम में टकराव का बिंदु कहां है और क्या है? इन सारे मामले को लेकर aajtak.in ने इस्लामी स्कॉलर मौलाना अब्दुल हमीद नोमानी और मुफ्ती ओसामा नदवी से लेकर कई मुस्लिम बुद्धजीवियों से समझने की कोशिश की और जाना कि आखिर मुसलमानों को दिक्कत क्या है?
इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ-नोमानी
मौलाना हमीद नोमानी कहते हैं कि 'वंदे मातरम' बंकिमचंद्र चटर्जी के उपन्यास 'आनंद मठ' का एक अंश है. इसकी तमाम पंक्तियां इस्लाम के धार्मिक सिद्धांतों के खिलाफ हैं, जिसके चलते मुसलमान इस गीत को गाने से परहेज करता है. 'वंदे मातरम' गीत का पूरा अर्थ- 'मां, मैं तेरी पूजा करता हूं ' 'तुम जल से परिपूर्ण, फलों से समृद्ध, मलय पवन से शीतल, और हरी-भरी फसलों से ढकी हुई हो. मां, मैं तुम्हें वंदन करता हूं...'
यह मौजूदा गीत है, लेकिन इस गीत की शुरुआती पांच छंदों को हटा दिया गया था, जब उन्हें देखेंगे तो साफ जाहिर होता है कि यह गीत हिंदू देवी माता दुर्गा की स्तुति में गाया गया है, न कि भारत की मातृभूमि के लिए है.

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