
यूक्रेन के चार इलाके तोड़ने से पुतिन को क्या फायदा? MAP में देखें कौन-कौन से इलाके गए जेलेंस्की के हाथ से
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महीनों से जारी जंग के बीच यूक्रेन के चार इलाकों को रूस में मिलाया जाएगा. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन चारों इलाकों को रूस में मिलाने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करेंगे. यूक्रेन के चार इलाकों- डोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरीजिया और खेरसान को रूस में मिलाया जाएगा. चारों अहम औद्योगिक केंद्र हैं और इससे पूरे यूरोप पर असर पड़ सकता है.
सात महीनों से जारी जंग के बीच यूक्रेन के चार इलाकों को रूस में मिलाने की तैयारी शुरू हो गई है. यूक्रेन के जिन चार इलाकों को रूस में मिलाया जाना है, उनमें डोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरीजिया और खेरसान शामिल हैं. इन इलाकों में हाल ही में रूस ने जनमत संग्रह करवाया था और दावा किया था कि यहां के लोग रूस के साथ आना चाहते हैं.
रूस के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने बताया कि इन चारों इलाकों को क्रेमलिन सेरेमनी के दौरान औपचारिक रूप से शामिल किया जाएगा. इस सेरेमनी में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी शामिल होंगे.
इससे पहले राष्ट्रपति पुतिन ने जेपोरीजिया और खेरसान को आजाद देश घोषित कर दिया. रूस के न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, पुतिन ने दोनों इलाकों की आजादी से जुड़े दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. वहीं, डोनेत्स्क और लुहांस्क को यूक्रेन से जंग शुरू होने के दो दिन पहले ही आजाद मुल्क घोषित कर दिया था.
जनमत संग्रह का नतीजा क्या रहा?
रूस ने 23 से 27 सितंबर के बीच डोनेत्स्क, लुहांस्क, जेपोरीजिया और खेरसान में जनमत संग्रह करवाया था. इसके बाद दावा किया है कि चारों इलाकों के ज्यादातर लोगों ने रूस के साथ आने के पक्ष में वोट दिया है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दावा है कि डोनेत्स्क में 99.2%, लुहांस्क में 98.4%, जेपोरीजिया में 93.1% और खेरसान में 87% लोगों ने रूस के साथ जाने के पक्ष में वोट डाला है.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

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यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.

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