
भारत को मक्का बेचने के लिए इतना बेचैन क्यों है अमेरिका? कहीं इथेनॉल की रेस वजह तो नहीं
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अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने अमेरिकी मक्का का आयात न करने के लिए भारत पर हमला बोला है. भारत 2023 तक मक्का का निर्यातक था, लेकिन ईंधन मिश्रण के लिए इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए मक्का के इस्तेमाल ने उसे आयातक बना दिया. आखिर क्या ऐसी वजह है कि अमेरिका अपना मक्का भारत भेजने के लिए इतना बेचैन नजर आ रहा है?
'भारत अपनी 140 करोड़ की आबादी पर गर्व करता है, लेकिन अमेरिकी कृषि निर्यात के मामले में बहुत कम खुलापन दिखाता है. भारत शेखी बघारता है कि उसकी आबादी 140 करोड़ है, फिर वो हमसे एक बुशल (25.40 किलो) मक्का तक क्यों नहीं खरीद रहा? वो हमारा मक्का नहीं खरीदेगा. वो हर चीज़ पर टैरिफ़ लगा देता है.' अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने दो दिन पहले यह बयान दिया था. तेल और हथियारों के बाद अमेरिका ने मक्के के मुद्दे पर भारत का मज़ाक उड़ाने की कोशिश की है.
ट्रंप के मंत्री क्यों हैं परेशान
ट्रंप के मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने अमेरिकी मक्का आयात करने की 'अनिच्छा' को लेकर भारत पर निशाना साधा. लेकिन भारत, अमेरिका से मक्का क्यों खरीदेगा, जबकि वह टॉप 10 प्रोड्यूसर्स में से एक है और हाल तक निर्यातक भी था? हालांकि यह सवाल जायज़ है. लेकिन भारत के इथेनॉल मिश्रण ने एक साधारण समीकरण को जटिल बना दिया है. इसमें वॉशिंगटन की ज्यादा मक्का बेचने की बेचैनी भी शामिल है, जबकि चीन अपने अनाज का इस्तेमाल करने से कतरा रहा है.
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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वरिष्ठ सहयोगी लुटनिक, जो रूसी तेल व्यापार को लेकर नई दिल्ली पर हमला करते रहे हैं, ने पूछा कि अमेरिका से भारत मक्का का आयात क्यों नहीं करता. उन्होंने कहा, 'क्या यह बात आपको बुरी नहीं लगती कि वे हमें सब कुछ बेचते हैं और वे हमारा मक्का नहीं खरीदते. वे हर चीज पर टैरिफ लगाते हैं.' मक्का अमेरिका के शीर्ष कृषि निर्यातों में से एक है. अमेरिका सबसे बड़ा मक्का उत्पादक है, जो वैश्विक उत्पादन का करीब 30-32% हिस्सा है.
भारत खुद मक्का का उत्पादक

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