
ब्रिटिश सेना में भी महिला सैनिकों के साथ होता है यौन शोषण और भेदभाव, संसदीय रिपोर्ट में हुआ खुलासा
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सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश सेवारत और पूर्व महिला सैनिकों में लगभग 90 प्रतिशत ने सेना में करियर बनाने का सुझाव दिया. वहीं लगभग 84 प्रतिशत ने बताया कि महिला सैनिकों को अपने मर्द समकक्षों की तुलना में अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
लंदनः ब्रिटेन की सेना में अपने करियर के दौरान 64 प्रतिशत पूर्व और 58 प्रतिशत मौजूदा महिला सैनिकों ने छेड़खानी, उत्पीड़न और भेदभाव का तजुर्बा किया है. इतवार को पेश की गई एक नई संसदीय रिपोर्ट में यह बात कही गई है. हाउस ऑफ कॉमन्स की सशस्त्र बलों में महिलाओं पर बनाई गई रक्षा उप-समिति ने अपनी रिपोर्ट ’प्रोटेक्टिंग दोज हू प्रोटेक्ट अस’ ’वीमेन इन द आर्म्ड फोर्सेज फ्रॉम रिक्रूटमेंट टू सिविलियन लाइफ’ में कहा कि रक्षा मंत्रालय (एमओडी) और सैन्य सेवाएं महिला कर्मियों की रक्षा करने और पूरी क्षमता से प्रदर्शन करने में उनकी मदद में विफल रही हैं. सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश सेवारत और साबिक महिला सैनिकों में लगभग 90 प्रतिशत ने सेना में करियर बनाने का सुझाव दिया. वहीं 3,000 से अधिक (लगभग 84 प्रतिशत) ने बताया कि महिला सैनिकों को अपने मर्द समकक्षों की तुलना में अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. परिवार और नौकरी से दोहरी चुनौतिया का सामना उप-समिति की सदर कंजरवेटिव पार्टी की सांसद सारा एथरटन ने कहा कि औरतें हमारी सेना की कामयाबी और हमारे मुल्क की हिफाजत का अभिन्न हिस्सा हैं, फिर भी सशस्त्र बलों में महिलाएं अपने पुरुष सहयोगियों के मुकाबले ज्यादा बोझ ढोती हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं को प्रोमोशन में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. वे परिवारों और बच्चों की देखभाल, छेड़खानी, अनुचित व्यवहार जैसे मुद्दों का सामना करती हैं. आम जनजीवन में लौटने पर पूर्व महिला सैनिकों को विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उनकी विशिष्ट जरूरतें होती हैं, जो पूर्व पुरुष सैनिकों से अलग होती हैं.
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