
बीजेपी को 2206 लोगों ने दिया 20 हजार से अधिक चंदा, बसपा को किसी ने नहीं... फिसड्डी रहीं विपक्षी पार्टियां
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बीजेपी को वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2206 लोगों ने 20 हजार रुपये या उससे अधिक का चंदा दिया है. बहुजन समाज पार्टी को 15वें साल भी एक भी दाता ऐसा नहीं मिला जिसने 20 हजार या उससे अधिक चंदा दिया हो.
राजनीतिक दलों के लिए आय का प्रमुख स्रोत है चंदा. राजनीतिक दलों को मिले चंदे के ताजा आंकड़ों की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में देश की राष्ट्रीय पार्टियों को 3753 लोगों ने 20 हजार या उससे अधिक की रकम बतौर चंदा दी है. राजनीतिक दलों को 20 हजार या उससे अधिक का चंदा ही 593 करोड़ 75 लाख रुपये मिला है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की हिस्सेदारी अन्य सभी दलों को मिले 20 हजार या उससे अधिक के चंदे से करीब चार गुना अधिक है. यानी यहां भी राष्ट्रीय स्तर की अधिकतर विपक्षी पार्टियों की जमानत जब्त हो गई है. बहुजन समाज पार्टी इकलौती ऐसी राष्ट्रीय पार्टी रही जिसने बिल्कुल तय समय पर यानी 9 सितंबर 2021 को ही अपने आय-व्यय का ब्यौरा निर्वाचन आयोग को सौंप दिया था. बसपा को लगातार 15वें साल एक भी व्यक्ति ने 20 हजार रुपये से अधिक का चंदा नहीं दिया है.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने तय समय से 10 दिन बाद, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 117 दिन बाद, सीपीएम ने 139 दिन बाद, एनपीईपी ने 137 दिन बाद, कांग्रेस ने 161 दिन बाद अपने आय-व्यय का लेखा-जोखा निर्वाचन आयोग के पास दाखिल किया. बीजेपी ने लेट लतीफी में भी बाजी मारी और सबसे अधिक विलंब के साथ 164 दिन की देरी से दाखिल किया.
नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने निर्वाचन आयोग को मिले पार्टियों की आय-व्यय के सालाना ब्यौरे के आधार पर रोचक विश्लेषण किया है. इसके मुताबिक 20 हजार रुपये से ज्यादा रकम के चंदे की श्रेणी में बीजेपी को 2206 दाताओं से कुल 545.545 करोड़ रुपये मिले हैं. इनमें 1111 तो कारपोरेट सेक्टर से हैं जिन्होंने 416.794 करोड़ रुपये चंदा दिया है. 1071 दाताओं ने निजी तौर पर 60.37 करोड़ रुपये का चंदा बीजेपी को दिया है.
बीजेपी के अलावा विपक्षी पार्टियों की बात करें तो कांग्रेस को 146 कारपोरेट दाताओं ने 35.89 करोड़ रुपये और 931 निजी दाताओं ने 38.63 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से बीजेपी, एनसीपी और कांग्रेस को कुल 216 करोड़ रुपये मिले. इनमें बीजेपी को सबसे ज्यादा 209 करोड़ रुपये, एनसीपी को पांच करोड़ और कांग्रेस को दो करोड़ रुपये का चंदा मिला है.

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