
बर्फीली ठंड, माइनस में टेम्प्रेचेर... फिर क्यों यहां बच्चों को खुले में सुलाते हैं माता-पिता
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दुनिया में कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां माता-पिता अपने 4-6 महीने के बच्चों के भीषण ठंड में घर से बाहर खुले आसमान के नीचे सोने के लिए छोड़ देते हैं. ऐसा करने के पीछे वजह क्या है और ऐसी क्या मजबूरी होती है, जानते हैं पूरी कहानी.
क्या कोई भी माता-पिता अपने दुधमुंहे बच्चे को शून्य से नीचे माइनस टेम्प्रेचर में खुले आसमान के नीचे सोने के लिए छोड़ सकता है? ये सुनकर ही अजीब लगता है, लेकिन ये सच है. कुछ ऐसे देश हैं, जहां माता-पिता अपने छोटे बच्चों को बर्फीली हवा में घर से बाहर पालने में रखकर छोड़ देते हैं. जानते हैं आखिर कौन हैं ये लोग और कहां रहते हैं और ऐस करने के पीछे वजह क्या है?
डेनमार्क, फिनलैंड, नार्वे, स्वीडन जैसे नॉर्डिक या स्केंडेनेवियन देशों कड़ाके की ठंड में घर से बाहर खुले आसमान के नीचे अकेले बाहर सोते हुए छोटे-छोटे बच्चे दिख जाएं, तो यह कोई बड़ी बात नहीं है. इन जगहों पर, जब काफी ज्यादा ठंड पड़ती है और तापमान शून्य से नीचे चला जाता है. तब माता-पिता आमतौर पर अपने छोटे बच्चों को पालने में रखकर घर से बाहर छोड़ देते हैं.
नॉर्डिक देशों में ये एक पुराना रिवाज है बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन देशों में ऐसा करना एक सामान्य रिवाज है. ऐसा करने के पीछे वहां के लोगों का तर्क है कि ये ठंडी ताजी हवा में रहने से बच्चों को बेहतर नींद आती है.फिनलैंड और डेनमार्क में यह प्रथा आम है. माता-पिता अपने बच्चों को बाहर सुला देते हैं जब तापमान -16 डिग्री तक गिर जाता है.
ऐसे शुरू हुई चर्चा इंटरनेट पर इसकी चर्च तब शुरू हुई, जब डेनिश संगीतकार अमाली ब्रून ने इंस्टाग्राम पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें वह अपने चार महीने के बेटे को कड़ाके की ठंड में घर से बाहर गोद में लेकर ठहल रही थी. ब्रून ने बताया कि उनका बेटा ज्यादातर समय बाहर ही सोता है.
नॉर्डिक माता-पिता के लिए यह आम बात है कि वे सोते हुए बच्चे को बाहर छोड़ देते हैं जब वे किसी रेस्तरां में जाते हैं या कोई काम निपटाने जाते हैं. डेनमार्क में डेकेयर केंद्रों में अक्सर झपकी लेने के लिए बाहर एक आरक्षित क्षेत्र भी होता है.
एक्सपर्ट ने बताया खतरनाक हो सकता है ये रिवाज अटलांटा, जॉर्जिया स्थित बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जेनिफर शू ने इनसाइडर को बताया कि मेरी चिंता निगरानी को लेकर है. उन्होंने कहा कि अगर माता-पिता आस-पास नहीं होंगे, तो उन्हें पता नहीं चलेगा कि उनके बच्चे के साथ क्या हो रहा है.

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