
पुतिन गए, अब जेलेंस्की के दिल्ली दौरे की तैयारी... कूटनीति के मोर्चे पर भारत की सधी चाल
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कूटनीति की सधी चाल चलते हुए अब भारत अब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को नई दिल्ली बुलाने पर विचार कर रहा है. भारत की कोशिश है कि यूक्रेन युद्ध के दोनों पक्षों से बराबर कूटनीतिक संपर्क रखा जाए. गौरतलब है कि भारत से काफी दूर चल रहे इस जंग का नई दिल्ली पर न सिर्फ आर्थिक बल्कि कूटनीतिक असर पड़ा है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सफल दिल्ली दौरे के बाद भारत ने कूटनीति की दूसरी सधी हुई चाल चली है. भारत अब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को दिल्ली में होस्ट करने की योजना पर काम कर रहा है. कूटनीतिक हलकों में इसे भारत की विदेश नीति का बैलेंसिंग एक्ट माना जा रहा है. माना जा रहा है कि जनवरी 2026 में जेलेंस्की का दिल्ली दौरा हो सकता है, हालांकि अभी इस दौरे की तारीख तय नहीं हो सकी है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक भारत कई हफ्तों से यूक्रेन के राष्ट्रपति कार्यालय से संपर्क में है. भारत की य़े कोशिश राष्ट्रपति पुतिन के नई दिल्ली दौरे से पहले से ही चल रही है. इस बाबत भारतीय और यूक्रेनी अधिकारियों के बीच कई हफ़्तों से बातचीत चल रही है, और पुतिन के भारत आने से पहले ही नई दिल्ली ज़ेलेंस्की के ऑफिस के संपर्क में थी.
जेलेंस्की की यात्रा से भारत को रूस-यूक्रेन युद्ध के दोनों पक्षों के साथ जुड़े रहने की कोशिशों को बल मिलेगा. भारत इस नीति पर कई महीनों से चल रही है. यही वजह है कि जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मॉस्को गए और पुतिन से मिले, तो इसके एक महीने बाद ही अगस्त में पीएम मोदी ने यूक्रेन का दौरा किया था.
यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के प्रस्तावित दौरे का समय और दायरा कई बातों पर निर्भर करेगा. इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शांति योजना कैसे आगे बढ़ती है और युद्ध के मैदान में क्या होता है.
यूक्रेन की घरेलू राजनीति, जहां ज़ेलेंस्की की सरकार अभी एक बड़े भ्रष्टाचार घोटाले में फंसी होने के कारण दबाव में है. उसका भी इस प्रस्तावित दौरे पर असर पड़ सकता है.
खास बात यह है कि यूक्रेन का राष्ट्रपति अबतक सिर्फ तीन बार भारत आया है. ये मौके थे. 1992, 2002 और 2012.

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