धरती के अंदर 32 हजार फीट होल कर चीन क्या हासिल करना चाहता है?
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यह पहली बार नहीं है जब धरती में इतना गहरा छेद किया जा रहा है. इससे पहले भी कई देशों ने धरती में रिकॉर्ड गहराई तक छेद किया है. पृथ्वी पर अब तक का सबसे गहरा मानव निर्मित छेद रूसी कोला सुपरडीप बोरहोल है. यह 40 हजार फीट से ज्यादा गहरा है. इसे नरक का द्वार भी कहा जाता है. हालांकि, रूस ने बाद में सुपरडीप बोरहोल को सील कर दिया.
चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने हाल ही में बताया है कि चीन के वैज्ञानिक पृथ्वी की ऊपरी परत क्रस्ट में 32 हजार फीट से ज्यादा गहरा छेद कर रहे हैं. यानी चीन के वैज्ञानिक संभावित अगले 457 दिन में 10 हजार मीटर गहरा छेद करेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक, तेल समृद्ध क्षेत्र शिनजियांग में चीन के वैज्ञानिक मंगलवार से पृथ्वी में छेद करना शुरू कर चुके हैं. छेद के दौरान पतला शाफ्ट 10 से अधिक महाद्वीपीय या चट्टानी परतों को छेद करते हुए पृथ्वी की क्रस्ट में क्रेटेसियस सिस्टम तक पहुंचेगा.
लेकिन यह पहली बार नहीं है जब धरती में इतना गहरा होल किया जा रहा है. इससे पहले भी कई देशों ने धरती में रिकॉर्ड गहराई तक होल किया है. पृथ्वी पर अब तक का सबसे गहरा मानव निर्मित छेद रूसी कोला सुपरडीप बोरहोल है. इसकी गहराई 40 हजार फीट से ज्यादा है. हालांकि, रूस ने बाद में सुपरडीप बोरहोल को सील कर दिया था.आइए जानते हैं कि धरती में इतना गहरा होल करने से वैज्ञानिकों को अब तक क्या मिला है और चीन इससे क्या हासिल करना चाहता है...
चीन क्यों कर रहा है इतना गहरा छेद?
चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, यह प्रोजेक्ट चीन के उस प्लान का हिस्सा है जिसकी मदद से चीन पृथ्वी की नई सीमाओं का आकलन कर रहा है. इस होल की मदद से चीन पृथ्वी की आंतरिक संरचना को एक्सप्लोर करना चाहता है.
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस प्रोजेक्ट को लेकर 2021 में ही संकेत दे दिया था. उन्होंने इस बाबत देश के प्रमुख वैज्ञानिकों से चर्चा भी की थी. यह प्रोजेक्ट चीन के वैज्ञानिकों को खनिजों और ऊर्जा संसाधनों की खोज में मददगार साबित हो सकता है. इसके अलावा भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी पर्यावरणीय आपदाओं से निपटने में भी उपयोगी साबित हो सकता है.
वहीं, कुछ लोग इसे तेल खनन से भी जोड़ कर देख रहे हैं. इंजीनियरिंग से जुड़े एक वेबसाइट का कहना है कि चीन ने यह प्रोजेक्ट ऐसे समय में लॉन्च किया है जब हाल ही में उसने 12 हजार टन तेल और गैस उत्पादन से जुड़े एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को कंप्लीट किया है. दरअसल, दिसंबर में जब से चीन में कोविड जीरो पॉलिसी खत्म हुई है पेट्रोल और जेट ईंधन की मांग में भारी बढ़ोतरी हुई है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, उच्च मांग के कारण चीन को इस साल भारी मात्रा में तेल आयात करना पड़ेगा.
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