तालिबान के 'दोस्तों' की पड़ताल वाले अमेरिकी बिल पर पाकिस्तान को भारत पर शक
BBC
पाकिस्तान की पूर्व मंत्री और अमेरिका में राजदूत रहीं शेरी रहमान तथा भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने अमेरिकी संसद में लाए गए बिल को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि अगर ये बिल पास हो गया तो पाकिस्तान के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है.
अमेरिकी कांग्रेस में पेश एक बिल को लेकर पाकिस्तानी संसद में विपक्षी पार्टियाँ सवाल पूछ रही हैं. रिपब्लिकन सीनेटरों ने इस बिल में अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के कब्ज़े में पाकिस्तान की भूमिका की समीक्षा करने की मांग की है.
पाकिस्तान की सीनेट में विपक्षी पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की नेता और विदेशी मामलों की स्टैंडिंग कमिटी की चेयरपर्सन शेरी रहमान ने कहा है कि यह पाकिस्तान विरोधी बिल है और अगर पास होता है तो पाकिस्तान के ख़िलाफ़ आर्थिक प्रतिबंध का रास्ता तैयार हो सकता है.
भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने कहा है कि इस बिल को लेकर पाकिस्तान को चिंता करने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि अगर यह बिल पास हो गया तो पाकिस्तान के लिए मुश्किल स्थिति होगी.
रहमान ने कहा कि पाकिस्तान पहले से ही अमेरिकी सैनिकों के अफ़ग़ानिस्तान से जाने के बाद से संकट में है. अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के 22 सीनेटरों ने इस बिल को पेश किया है. रहमान ने कहा कि पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान को लेकर जो कुछ झेल रहा है, वैसा पहले भी कभी नहीं हुआ.
शेरी रहमान ने कहा कि इस बिल में सीधे पाकिस्तान को निशाने पर लिया गया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान विरोधी सेंटिमेंट बढ़ रहा है. शेरी रहमान ने कहा कि बिल के सेक्शन 202 में पाकिस्तान का नाम लिया गया है और कहा गया है कि पाकिस्तान की सरकार और वहाँ के नॉन स्टेट फोर्स की अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान को मदद करने की भूमिका की समीक्षा की जाए. इसमें 2001 से 2021 के बीच पाकिस्तान की सरकार के मूल्यांकन की बात भी शामिल है.