
जानें- क्या है Lucknow और Kanpur के पुलिस कमिश्नर को हटाए जाने की असली कहानी
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कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा और लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को नई पोस्टिंग नहीं मिली है. दोनों ही अफसरों को वेटिंग में डाला गया है. ऐन मोहर्रम के मौके पर दोनों ही संवेदनशील जिलों में पुलिस कमिश्नर को हटाने के कड़े फैसले की क्या वजह थी?
उत्तर प्रदेश पुलिस में 2 बड़े बदलाव हुए हैं. कानपुर और लखनऊ के पुलिस कमिश्नर हटा दिए गए हैं. कानपुर के पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा और लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को नई पोस्टिंग नहीं मिली है. दोनों ही अफसरों को वेटिंग में डाला गया है. ऐन मोहर्रम के मौके पर दोनों ही संवेदनशील जिलों में पुलिस कमिश्नर को हटाने के कड़े फैसले की क्या वजह थी? आइए जानते हैं-
सबसे पहले बात राजधानी लखनऊ के पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर की. उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नरी लागू होने के बाद शासन ने नोएडा और लखनऊ में पुलिस कमिश्नर तैनात किए. लखनऊ के पहले पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे को बनाया गया था. नवंबर 2020 में डीके ठाकुर ने लखनऊ पुलिस कमिश्नर का चार्ज लिया था.
1 साल 8 महीने डीके ठाकुर लखनऊ के पुलिस कमिश्नर रहे. उनको अचानक शासन ने हटा दिया और उनकी जगह पर 93 बैच के आईपीएस अफसर और एडीजी इंटेलीजेंस एसबी शिरोडकर को लखनऊ का नया पुलिस कमिश्नर बनाया गया है. बताया जा रहा है कि शनिवार रात लखनऊ कानपुर हाईवे पर लंबा जाम लगा. घंटों गाड़ियां बंथरा बॉर्डर पर फंसी रही.
लोगों ने सोशल मीडिया पर जाम की शिकायत की, जिस पर डीजीपी डीएस चौहान ने नाराजगी जताई और एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार को मौके पर भेजा. प्रशांत कुमार ने घंटों की मशक्कत के बाद ट्रैफिक डायवर्जन कर, रविवार सुबह तक ट्राफिक नॉर्मल का करवा पाए. ट्रैफिक जाम लखनऊ पुलिस कमिश्नर के हटने का तात्कालिक कारण बना.
लेकिन डीके ठाकुर की कार्यशैली से ऊपर के अफसर लंबे समय से नाराज थे. लुलु मॉल में हिंदू संगठनों के प्रदर्शन और उन पर कार्रवाई में हीला हवाली बरतने के चलते ही लुलु मॉल में विवाद कई दिनों तक चलता रहा. हालात ऐसे बिगड़े के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में लुलु मॉल में सख्त कार्रवाई करने की हिदायत देनी पड़ी.
गड़बड़ी फैलाने वाले किसी भी वर्ग के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश देने पड़े. इसके बाद भी प्रदर्शन से कानून व्यवस्था को चुनौती देने वालों पर कार्यवाही नहीं की गई, जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े होने लगे कि अगर राजधानी लखनऊ में करोड़ों की लागत से बने लुलु मॉल के संचालन में प्रदर्शनकारी बाधा बनेंगे तो सरकार की लॉ एंड ऑर्डर वाली छवि का क्या होगा.

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