गेहूं और चावल को लेकर वैज्ञानिकों ने किया चिंता बढ़ाने वाला खुलासा
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भारत में चावल और गेहूं जैसी फसलों में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है. वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च के बाद दावा किया है कि फसलों में जरूरी पोषक तत्वों की कमी और हानिकारक तत्वों की वृद्धि हो रही है.
भारत में वर्तमान में चावल और गेहूं जैसी फसलों में पोषक तत्वों की कमी होती जा रही है. टेलीग्राफ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने अपनी एक स्टडी में दावा किया है कि अनाज से कैल्शियम, आयरन और जिंक सहित आवश्यक तत्व 1960 के अनाज की तुलना में 19 प्रतिशत से 45 प्रतिशत कम हो गए हैं.
यहां हुई ये रिसर्च
पश्चिम बंगाल में वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि देश भर में खेती की जाने वाली कुछ प्रमुख किस्मों के चावल के अनाज में 1960 के दशक के अनाज की तुलना में लगभग 16 गुना अधिक आर्सेनिक और चार गुना अधिक क्रोमियम का स्तर पाया गया है जिसका ज्यादा स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है.
हालांकि, साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले गेहूं में 1960 के दशक के गेहूं की तुलना में आर्सेनिक और क्रोमियम का स्तर कम है.
फसलों में पोषक तत्वों की कमी
निष्कर्षों से पता चलता है कि एक तरफ जहां हरित क्रांति के बाद से देश में अनाज की पैदावार बढ़ी जिससे भारत को भोजन के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने में मदद की. वहीं चावल और गेहूं जो भोजन का अभिन्न अंग है, की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई है.
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