
क्या है राजनीतिक दलों की राय... वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर पूर्व राष्ट्रपति से मिले राजनेता
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देश में एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर डीएमके ने अपने विचार रखे. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, जो अपना दल (सोनीलाल) की अध्यक्ष हैं, ने भी पूर्व राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात की और अपनी पार्टी के विचार प्रस्तुत किए. पिछले सितंबर में गठित इस पैनल को लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर जल्द से जल्द जांच करने और सिफारिशें करने का काम सौंपा गया है.
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर उच्च स्तरीय समिति ने शनिवार को पिछले साल सितंबर में इसकी स्थापना के बाद हुई प्रगति की समीक्षा की. पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली समिति ने राजनीतिक दलों, पूर्व न्यायाधीशों और राज्य चुनाव आयोगों के साथ चल रही परामर्श प्रक्रिया का भी मूल्यांकन किया. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पैनल ने पी विल्सन के नेतृत्व वाले द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ अलग से बातचीत की.
बीते साल सितंबर में गठित हुआ था पैनल देश में एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर डीएमके ने अपने विचार रखे. केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल, जो अपना दल (सोनीलाल) की अध्यक्ष हैं, ने भी पूर्व राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात की और अपनी पार्टी के विचार प्रस्तुत किए. पिछले सितंबर में गठित इस पैनल को लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर जल्द से जल्द जांच करने और सिफारिशें करने का काम सौंपा गया है.
वन नेशन-वन इलेक्शन में क्या है बाधाएं बता दें कि एक्सपर्ट की राय में, वन नेशन, वन इलेक्शन के लिए संविधान संशोधन जरूरी होगा. संविधान के अनुच्छेद 83, 172 और 356 के प्रावधानों में संशोधन के बिना लोकसभा और राज्यों का विधानसभा चुनाव एक साथ कराया जाना संभव नहीं है. संविधान विशेषज्ञों के मुताबिक, अनुच्छेद 83 और 172 में संशोधन करना होगा जिसमें ये कहा गया है कि सदन का कार्यकाल पांच साल का होगा. इनमें ये भी कहा गया है कि इस अवधि के पहले सदन को भंग करना होगा.
AAP जता चुकी है वन नेशन, वन इलेक्शन पर विरोध अभी बीती जनवरी में, दिल्ली और पंजाब की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी ने एक देश एक चुनाव को लेकर विरोध जता चुकी है. उन्होंने वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे को लेकर एक उच्च स्तरीय समिति को अपनी सिफारिशें भेजीं थीं. आप के महासचिव पंकज गुप्ता ने उच्च स्तरीय समिति के सचिव नितेन चंद्र को संबोधित करते हुए 13 पन्नों का सिफारिश पत्र लिखा था. आप ने अपने पत्र के माध्यम से एक देश एक चुनाव का कड़ा विरोध किया था और कहा कि ये लोकतंत्र के विचार, संविधान की बुनियादी संरचना को नुकसान पहुंचाएगा. इससे सदस्यों की खुली खरीद-फरोख्त को भी बढ़ावा मिलेगा.

इंडिगो संचालन संकट के कारण कई उड़ानें रद्द होने और क्षमता घटने से अचानक बढ़े किरायों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने घरेलू उड़ानों पर अधिकतम किराया सीमा लागू कर दी है, जिसके तहत 500 किमी तक 7,500 रुपये, 500–1000 किमी के लिए 12,000 रुपये, 1000–1500 किमी के लिए 15,000 रुपये और 1500 किमी से अधिक दूरी के लिए 18,000 रुपये से ज्यादा किराया नहीं लिया जा सकेगा.

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इंडिगो के ऑपरेशनल संकट का असर 6 दिसंबर को भी खत्म नहीं हुआ. देश के कई बड़े एयरपोट्स पर आज सैकड़ों उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिससे हजारों यात्री परेशान देखे गए. कई एयरपोर्ट पर यात्रियों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ा. कुछ जगह इंडिगो के काउंटर्स पर सहयोग ना करने की शिकायतें सामने आईं. कंपनी लगातार शेड्यूल में बड़े बदलाव कर रही है. अब तक 11 बड़े एयरपोर्ट्स पर कुल 571 फ्लाइट्स रद्द हो चुकी हैं.

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