केशव मौर्य, सुरेश खन्ना से लेकर नंदी तक... जानिए योगी कैबिनेट में किस-किसका घट गया कद
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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रियों को विभागों का बंटवारा हो गया है. विधानसभा चुनाव में अपनी सीट हारने वाले केशव प्रसाद मौर्य से लोक निर्माण विभाग ले लिया गया है तो बीजेपी के दिग्गज नेता सुरेश खन्ना को चिकित्सा शिक्षा विभाग नहीं दिया गया.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार 2.0 में मंत्रियों के विभागों के बंटवारे कर दिए गए हैं. कैबिनेट में शामिल किए नए चेहरों को अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो कई दिग्गज नेताओं के सियासी कद इस बार कम कर दिए गए हैं. विधानसभा सीट हारने के बाद भी योगी सरकार 2.0 में केशव प्रसाद मौर्य को भले डिप्टी सीएम बना दिया गया, लेकिन पीडब्ल्यूडी जैसे मलाईदार विभाग नहीं मिला. ऐसे ही योगी सरकार के पहले कार्यकाल में दमदार विभाग संभालने वाले कई मंत्रियों के रुतबे को इस बार घटा दिया गया है. आइए जानते हैं कि योगी सरकार में किन मंत्रियों के सियासी पंख कतर दिए गए हैं...
केशव मौर्य को नहीं मिला पीडब्ल्यूडी विभाग
विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी केशव को उपमुख्यमंत्री पद देकर उनका कद तो बरकरार रखा गया लेकिन विभागों के बंटवारे में कटौती कर दी गई है. केशव मौर्य से लोक निर्माण (पीडब्लूडी) जैसा भारी भरकम मंत्रालय की जगह ग्राम्य विकास और समग्र ग्राम विकास एक ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई. वहीं, खाद्य प्रसंस्करण, मनोरंजन कर और सार्वजनिक उद्यम विभाग को पहले की तरह बरकरार रखा गया है तो राष्ट्रीय एकीकरण विभाग की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है.
यूपी की सियासत में पीडब्लूडी मंत्रालय को मलाईदार विभाग माना जाता है. सूबे में सपा सरकार में शिवपाल यादव के पास हुआ करता था. मुलायम सिंह से लेकर अखिलेश यादव सरकार में शिवपाल ने इस विभाग को अपने पास रखा तो मायावती की सरकार में नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पास पीडब्लूडी विभाग हुआ करता था. यह दोनों ही नेता अपनी-अपनी पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखते थे. यही वजह है कि केशव मौर्य को योगी सरकार 2.0 में पीडब्लूडी विभाग नहीं मिलने से लोग उनके सियासी कद से जोड़ रहे हैं.
सुरेश खन्ना का घटा सियासी कद
बीजेपी के दिग्गज नेता और नवीं बार विधायक बने सुरेश कुमार खन्ना को कैबिनेट मंत्री जरूर बनाया गया है, लेकिन पिछली बार से उनका कद भी घटा है. योगी सरकार 2.0 मंत्रिमंडल में सुरेश खन्ना को वित्त और संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है जबकि पहले कार्यकाल में उनके पास इन दोनों विभागों के अलावा चिकित्सा शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी हुआ करती थी. इस बार चिकित्सा शिक्षा विभाग सुरेश खन्ना से लेकर डिप्टीसीएम सुरेश खन्ना को सौंप दी गई है.
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