एल्गार परिषद केस: मुबंई नहीं छोड़ सकते वरवर राव, बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्थायी मेडिकल बेल ठुकराई
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वरवर राव ने अपने घर तेलंगाना जाने के लिए स्थायी बेल की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है. हालांकि, कोर्ट ने आत्मसमर्पण का वक्त 3 महीने और बढ़ा दिया है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने तेलुगु कवि और एल्गार परिषद केस के आरोपी वरवर राव की स्थायी मेडिकल बेल की याचिका ठुकरा दी है. उनके मुंबई छोड़ने पर लगी रोक भी बरकरार रखी गई है. राव ने अपने घर तेलंगाना जाने के लिए कोर्ट से स्थायी जमानत की मांग की थी. बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसबी शुक्रे और जीए संदीप की खंडपीठ ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई की. हालांकि, बेंच ने उन्हें आत्मसमर्पण के लिए दिए गए समय को 3 महीने और बढ़ा दिया है. बता दें कि राव पर UAPA के तहत केस दर्ज है.
पीठ ने कहा कि राव के मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए आत्मसमर्पण का समय बढ़ाया गया है. ये कहते हुए जस्टिस शुक्रे ने राव की चुटकी भी ली. उन्होंने कहा 'आप अपनी किस्मत आजमा सकते हैं और उच्च शक्ति के पास जा सकते हैं'. दरअसल, एल्गार परिषद मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित हुए सम्मेलन में, कथित भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. पुलिस का दावा है कि इसके अगले ही दिन, भीमा-कोरेगांव युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी. पुलिस के मुताबिक, यह सम्मेलन उन लोगों ने आयोजित किया था, जिनके माओवादियों से कथित तौर पर संबंध हैं.
2018 में पुलिस ने किया था गिरफ्तार
इस केस में राव को 2018 में पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया था. बाद में मामला एनआईए को सौंप दिया गया. एनआईए की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा कि स्थायी जमानत और तेलंगाना जाने की छुट्टी के लिए राव का आवेदन पहले की बेंच खारिज कर चुकी है. उन्होंने तर्क दिया कि राव को सीधे हाईकोर्ट में आने से पहले सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए था. इसलिए स्थायी जमानत के लिए रिट याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है.
जेल में इलाज के लिए डॉक्टर उपलब्ध- SG
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि राव की अंतरिम जमानत की अवधि 6 महीने पहले खत्म हो चुकी है. इसके बाद राव ने मेडिकल जमानत की अर्जी दी थी. तब मिला 6 महीने का समय भी बीत चुका है. उन्होंने बताया कि नानावटी अस्पताल के डॉक्टरों ने राव की जांच कर अदालत को सौंपी गई रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी थी. सिंह ने कहा कि अगर राव को इलाज की जरूरत पड़ती है, तो जेल अधिकारी उनकी देखभाल करने के लिए मौजूद हैं. जरूरत पड़ने पर मरीज को जेजे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया जाता है.
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