
‘आखिरी मौका...', साई सुदर्शन को हर हाल में रन बनाने होंगे, दिल्ली में चूके तो टीम इंडिया से होगा पत्ता साफ
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अहमदाबाद टेस्ट में जब साई सुदर्शन रोस्टन चेज की गेंद पर एलबीडब्ल्यू आउट हुए, तो उनके चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी. आसान पिच और साधारण वेस्टइंडीज आक्रमण के बीच यह वह मौका था, जब वे टीम इंडिया के नंबर-3 स्लॉट पर दावा ठोक सकते थे, लेकिन...
अहमदाबाद टेस्ट में जब साई सुदर्शन रोस्टन चेज की एक सीधी गेंद को मिस कर एलबीडब्ल्यू आउट हुए, तो उनके चेहरे पर निराशा साफ झलक रही थी. तमिलनाडु के इस बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए यह पिच आसान थी, सामने वेस्टइंडीज का साधारण आक्रमण, लेकिन मौका बड़ा था, और चूक उससे भी बड़ी. यह वही मैच था जिसमें साई अपने बल्ले से टीम इंडिया के लिए नंबर-3 की जगह पक्की कर सकते थे.
अगर यह नाकामी किसी एक मैच तक सीमित होती, तो शायद बात आई-गई हो जाती. लेकिन साई का यह पहला असफल प्रदर्शन नहीं है. अब तक खेले गए 4 टेस्ट मैचों की 7 पारियों में उनके नाम सिर्फ एक अर्धशतक है. औसत मात्र 21... और यह आंकड़ा भारतीय क्रिकेट की बेहद प्रतिस्पर्धी दुनिया में चिंता का विषय है.
23 साल के इस बल्लेबाज को पता है कि दिल्ली के कोटला में शुक्रवार से शुरू हो रहे दूसरे टेस्ट में उन्हें हर हाल में रन बनाने होंगे. भारत में 2 टेस्ट की नाकामी का मतलब क्या होता है, याद करें…
साल भर पहले की बात है- सरफराज खान ने बेंगलुरु में मुश्किल पिच पर शतक लगाया था. लेकिन अगले दो टेस्ट में, जब पूरी भारतीय बल्लेबाजी लड़खड़ा रही थी, सरफराज का बल्ला खामोश रहा… और बस! दरवाजा बंद हो गया.
कुछ ऐसा ही हाल करुण नायर का भी रहा. इंग्लैंड में कठिन हालात में उन्होंने ओवल टेस्ट में शानदार अर्धशतक लगाया, जो भारत की सीरीज बराबरी में अहम साबित हुआ. लेकिन फिर भी चयनकर्ताओं की राय थी- 'हम उनसे थोड़ा ज्यादा उम्मीद कर रहे थे.'
मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर की यह टिप्पणी साई सुदर्शन की स्थिति को और स्पष्ट करती है- भारतीय क्रिकेट में असफलता की बहुत सीमित गुंजाइश है.

भारत और साउथ अफ्रीका के बीच वनडे सीरीज का तीसरा और निर्णायक मैच अब शनिवार (6 दिसंबर) को वाइजैग (विशाखापत्तनम) में है. रांची में भारत जीता और रायपुर में अफ्रीकी टीम ने जीत दर्ज की. वाइजैग के साथ भारत के लिए एडवांटेज यह है कि यहां टीम का रिकॉर्ड शानदार है. यहां कोहली-रोहित चलते हैं, साथ ही 'ब्रांड धोनी' को पहली बड़ी पहचान यहीं मिली थी.












