
Lord Cornwallis: उस कमांडर की कहानी जो 3 महादेशों में लड़ा युद्ध, अमेरिका के पहले राष्ट्रपति से हारा, टीपू सुल्तान को हराया
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लॉर्ड कॉर्नवालिस अपने समय का ऐसा सेनायक था जिसके किरदार का असर तीन महादेशों में देखा गया- उत्तरी अमेरिकी, एशिया और यूरोप. इंग्लिश क्राउन के इस वफादार जनरल ने जो भी लड़ाइयां लड़ी, इतिहास की धारा वहीं से मुड़ गई. ब्रिटिश राज के अभिमान में इसने आज से 250 साल पहले लंदन, न्यूयॉर्क, वर्जीनिया, कलकत्ता, मैसूर को एक कर डाला. लेकिन दुनिया-जहान फतह करने निकले इस कमांडर की मौत गाजीपुर में गंगा की लहरों को ताकते हुई. तब वो असहाय और अकेला था.
ये कमांडर नहीं चाहता था कि उसका तमाशा बने. वो युद्ध में पराजित हो चुका था. अब सरेंडर की औपचारिकता बाकी थी. यहां उसे स्वयं अपनी वो तलवार विजेता सेनापति को सौंपनी थी जिससे न जाने वो कई दुश्मनों के सिर धड़ों से अलग कर चुका था. ये कोई छोटी-मोटी लड़ाई तो थी नहीं. वो जानता था कि इतिहास इस शिकस्त का पूरा-पूरा मूल्य वसूल करेगा. आखिरकार उसकी हार उस युद्ध में हुई थी जिसके नतीजे में वो राष्ट्र बना जिसे आज हम संयुक्त राज्य अमेरिका कहते हैं.
सो इस हारे हुए कमांडर ने सरेंडर में जाना अस्वीकार कर दिया. उसने बहाना बनाया, कहा- तबीयत खराब है. उसने सेनापति की वो आईकॉनिक तलवार अपने जूनियर को सौंपी और उसे आदेश दिया कि आत्मसमर्पण की अगुआई वो करे. अब वरिष्ठ का आदेश था तो कनिष्ठ को पालन करना ही था.
इसकी ये चालबाजी विजेता सेनानायक को नागवार तो जरूर गुजरी. लेकिन उसने अपने इगो को सयंत किया और उस 'बीमार' कमांडर को सरेंडर पर आने के लिए मजबूर नहीं किया. '...लेकिन जब वो हारकर नहीं आ रहा तो मैं जीतकर क्यों जाऊं', इस सेनानायक का विजेता मन इस स्वभाविक प्रश्न का उत्तर न ढूंढ सका. उसने हारे हुए कमांडर के डिप्टी से तलवार स्वीकार करने में अपनी तौहीन समझी. और वो भी इस कार्यक्रम में नहीं गया. उसने भी इस प्रोग्राम के लिए अपने जूनियर को भेज दिया.
अमेरिकी क्रांति की दिशा तय करने वाले सरेंडर का ये वाकया 243 साल पहले का है. जंग का नाम था यॉर्क टाउन का युद्ध (Battle of Yorktown). सरेंडर की तारीख थी यही कोई आज से एक महीने बाद- 19 अक्टूबर 1781. युद्ध हारने वाले कमांडर का नाम था चार्ल्स कॉर्नवालिस (Charles Cornwallis). अगर नाम सुना-सुना लग रहा है तो आपका अंदाजा ठीक है. ये वही कॉर्नवालिस है जिसकी चालाकियों और साजिशों के सामने मैसूर के शासक टीपू सुल्तान को परास्त होना पड़ा. फिर इस कॉर्नवालिस ने पूरे दम-खम के साथ भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की हुकूमत बुलंद की.
वहीं अमेरिका के वर्जीनिया में हुए इस संग्राम को जीतने वाला नायक था अमेरिकी कमांडर जॉर्ज वाशिंगटन. वही वाशिंगटन जिनके नाम पर अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी है. इन्हें ही अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ.
3 महादेशों में 3 लड़ाइयां लड़ने वाला कमांडर

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