21 सदस्यों में 15 तो भाजपा के होंगे, इसलिए अडानी मामले में JPC नहीं चाहते हैं शरद पवार
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एनसीपी चीफ शरद पवार ने एक बार फिर जेपीसी को लेकर अपनी आशंकाएं जाहिर की हैं. हालांकि वह पहले भी कहते रहे हैं कि अडानी मामले में यह सही सॉल्यूशन नहीं है. उनका तर्क है कि 21 लोगों की कमेटी में 15 भाजपा के होंगे और 6 विपक्ष को तो क्या सच सामने आएगा.
एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने एक बार फिर जेपीसी को लेकर अपनी राय रखी है. उन्होंने रविवार को फिर से दोहराया कि अडाणी मामले मे जेपीसी जांच की मांग सही फैसला नहीं है. इसे लेकर शरद पवार शुरू से समर्थन में नहीं हैं. उन्होंने अप्रैल के शुरुआती हफ्ते में जब ऐसी बात कही थी तो इससे विपक्षी एकता को करारा झटका पहुंचा था. असल में 2024 के चुनावी अभियान की शुरुआत से पहले विपक्ष भाजपा को घेरने की जमीन तैयार कर रहा है और इसके लिए सभी विपक्षी दलों को एक अंब्रेला के नीचे आने का आग्रह कर रहा है. ऐसे में शरद पवार का ये बयान विपक्षी एकता की सेहत के लिहाज से ठीक नहीं माना गया था. रविवार को उन्होंने फिर ये बात दोहराई है, साथ ही कहा है कि सभी यही चाहते हैं तो समर्थन भी करूंगा.
अडानी पर कही ये बात शरद पवार ने अडानी मामले में कहा कि, 'JPC सॉल्यूशन नही है. उन्होंने कहा कि 21 लोगों की समिति में 15 लोग भाजपा के होंगे और 6 विपक्ष के और JPC का अध्यक्ष भी उनका होगा. ऐसे में JPC से बेहतर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी होगी. लेकिन विपक्ष अगर JPC की मांग कर रहा है तो मैं उनका विरोध भी नहीं करूंगा साथ रहूंगा.'
'कोई तोड़ने का काम करता है तो करे' इसके साथ ही उन्होंने एनसीपी (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) के संदर्भ में चल रही अटकलों को लेकर भी अपनी बात रखी है. शरद पवार ने कहा कि 'कोई तोड़ने का काम करता है तो करें, हम हमारी भूमिका जो लेना है लेंगे. दरअसल, एनसीपी में टूट की अटकलें लगातार चल रही हैं. इसे लेकर पहले भी शरद पवार ने पुणे के पुरंदर इलाके में मीडिया से कहा था कि मीडिया के दिमाग में जो भी चर्चा चल रही है, वह हमारे दिमाग में नहीं है. इन सभी चर्चाओं का कोई महत्व नहीं है. मैं एनसीपी के बारे में कह सकता हूं कि हमारे सभी सहयोगी एक ही सोच के हैं. किसी के दिमाग में कोई अन्य विचार नहीं है.
पहले भी जेपीसी पर ऐसा कह चुके हैं शरद पवार 8 अप्रैल 2023 को भी शरद पवार ने जेपीसी को लेकर कहा था कि आखिर क्यों वह इसकी जांच नहीं चाहते हैं. असल में इससे एक दिन पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट पर निशाना साधा था, जिसमें गौतम अडानी को लेकर कई आरोप लगाए गए हैं. तब शरद पवार ने कहा था कि 'उस शख्स ने पहले भी ऐसे बयान दिए थे और तब भी सदन में कुछ दिन हंगामा हुआ था. लेकिन इस बार जरूरत से ज्यादा तवज्जो इस मुद्दे को दे दी गई है. वैसे भी जो रिपोर्ट आई, उसमें दिए बयान किसने दिए, उसका क्या बैकग्राउंड है. जब वो लोग ऐसे मुद्दे उठाते हैं जिनसे देश में बवाल खड़ा हो, इसका असर तो हमारी अर्थव्यवस्था पर ही पड़ता है. लगता है कि ये सबकुछ किसी को टारगेट करने के लिए किया गया था.' शरद पवार के इस तरह का बयान को 'विपक्षी एकता में दरार' के तौर पर देखा गया था.
सुप्रीम कोर्ट के दूसरे विकल्प पर राजी हैं पवार इस तरह की बातें सामने आने के बाद 8 अप्रैल को एनसीपी चीफ ने अपनी बात फिर से रखी थी. उन्होंने कहा था कि 'मुझे नहीं पता कि हिंडनबर्ग क्या है, एक विदेशी कंपनी इस देश के एक आंतरिक मामले पर स्टैंड ले रही है तो हमें सोचना चाहिए कि एक'हैट कंपनी' को हमें कितना महत्व देना चाहिए. जेपीसी की बात सभी विपक्ष ने कही है यह सच है और हमारी पार्टी भी इसमें शामिल है, यह भी सच है. लेकिन जेपीसी के गठन में 21 लोग होंगे और उनमें से 15 लोग रूलिंग पार्टी के होंगे. विपक्ष के सिर्फ 5 6 लोग ही होंगे तो वह क्या सच्चाई सामने लाएंगे. इसीलिए मेरा कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी फॉर्म करने का जो दूसरा विकल्प दिया है, वह ज्यादा ठीक है.
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