
100 साल में अनाज की 90% किस्में गायब हो गईं? फूड डायवर्सिटी का खत्म होना कैसे है खतरनाक
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फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) की मानें तो बीती एक सदी में दुनिया से 90% से भी ज्यादा अनाज की किस्में गायब हो चुकीं. अब जो वराइटी बाकी हैं, उसमें से भी 9 प्रजातियां ही सबका पेट भर रही हैं. यहां सवाल ये है कि आखिर इतनी किस्में 100 सालों के भीतर क्यों गायब हो गईं, और क्यों ये बात डराने वाली है.
रूस अपने काला सागर अनाज समझौता से पीछे हट गया है, जिससे दुनिया में अनाज की भारी कमी आ सकती है. ये वो समझौता था, जिसके जरिए यूक्रेन सागर से होते हुए अपना अनाज बाकी जगहों को सप्लाई कर पा रहा था. लड़ाई छिड़ने पर रूस ने साफ किया कि वो आपसी झगड़े में बाकी लोगों का नुकसान नहीं करेगा. वो यूक्रेनी मालवाहक जहाजों को सुरक्षित रास्ता देता रहा.
रूस रोक रहा है समुद्र से अन्न का निर्यात
हाल में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ कर दिया कि वे अब काला सागर को यूक्रेन के लिए खुला नहीं छोड़ेगें. इससे न तो यूक्रेन अपना गेहूं और मक्का बाहर भेज पाएगा और न ही उसके निर्यात पर निर्भर देशों को ये अनाज आसानी से मिलेगा. माना जा रहा है कि इस एक फैसले से लाखों लोग भुखमरी का शिकार हो सकते हैं. वैसे अनाज की कमी का जिम्मेदार अकेला रूस नहीं, बल्कि इसकी किस्मों का तेजी से गायब होना भी है.
वैसे तो हम जीव-जंतुओं के विलुप्त होने के बारे में सुनते आ रहे हैं, लेकिन क्या कभी सोचा है कि पेड़-पौधे, और उसपर भी अनाज विलुप्त हो सकता है! ऐसा हो रहा है और इतनी तेजी से हो रहा कि वो दिन दूर नहीं जब दुनिया में अनाज की इक्का-दुक्का किस्में बाकी रह जाएंगी. इसे एग्रोबायोडायवर्सिटी कहते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
FAO का कहना है कि 100 सालों के भीतर फसल की 90 फीसदी से ज्यादा किस्में गायब हो गईं. इसमें चावल, तिलहन, दाल और मिलेट्स की भी कई वराइटी शामिल हैं. लेकिन चिंता यहीं खत्म नहीं होती. FAO के मुताबिक, आज जो फसलें हम खा रहे हैं, साल 2050 तक उनमें से भी एक-तिहाई खत्म हो जाएंगी.

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