सुंदर लाल बहुगुणा: जिनके काम लोगों के ज़ेहन में हमेशा के लिए छपे रहेंगे
BBC
शादी से पहले विमला ने उनके सामने शर्त रखी कि उन्हें ख़ुद को पूरी तरह से सामाजिक क्षेत्र के काम में समर्पित करना होगा.
सुंदर लाल बहुगुणा का जाना हमारे दौर के सबसे बड़े सामाजिक कार्यकर्ता का जाना है. अगर कोरोना महामारी का प्रकोप नहीं होता तो वे कुछ और सालों तक हम लोगों के लिए प्रेरणा का काम करते. हालांकि सुंदर लाल बहुगुणा अपने पीछे सामाजिक संघर्षों की विस्तृत सिलसिला छोड़कर गए हैं. दुनिया उन्हें और चंडी प्रसाद भट्ट को चिपको आंदोलन के लिए जानती है लेकिन यह आंदोलन उनके सामाजिक जीवन के कई आंदोलनों में एक था. सुंदर लाल बहुगुणा का सामाजिक राजनीतिक जीवन 1942 के स्वतंत्रता संग्राम के वक़्त ही शुरू हो गया था. गांधी जी के प्रभाव में आकर वे कांग्रेस के आंदोलन में शामिल हो गए थे. गांधीवादी विचारों में उनकी आस्था आख़िर तक बनी रही. उस वक़्त सुंदर लाल बहुगुणा टिहरी में श्रीदेव सुमन के साथ राजनीतिक रूप से सक्रिय थे. सुमन की 84 दिनों की भूख हड़ताल के बाद 1944 में मौत हुई थी तब टिहरी कांग्रेस के ज़िला सचिव के तौर पर सुंदर लाल बहुगुणा चर्चा में आने लगे थे. तब उनकी 21-22 साल की उम्र रही होगी.More Related News