
सिंधु के बाद अब कुनार की मार...अफगानिस्तान के इस कदम से पानी को तरसेगा पाकिस्तान!
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भारत के बाद अब अफगानिस्तान भी पाकिस्तान का पानी रोकने जा रहा है.पाकिस्तान जाने वाली कुनार नदी पर अफगानिस्तान ने बांध बनाने का ऐलान किया है. इससे पहले पहलगाम हमले के बाद भारत ने भी सिंधु जल समझौता सस्पेंड कर दिया था.
भारत के बाद अब अफगानिस्तान भी पाकिस्तान का पानी बंद करने की तैयारी कर रहा है. अफगानिस्तान ने कुनार नदी पर बांध बनाने की योजना का ऐलान किया है. इससे पाकिस्तान जाने वाली एक और नदी का पानी रुक सकता है.
अफगानिस्तान इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान के ऊर्जा और जल मंत्री अब्दुल लतीफ मंसूर ने कहा कि तालिबान के नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह विदेशी कंपनियों का इंतजार न करे और परियोजना शुरू करने के लिए घरेलू कंपनियों के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर करे. मंसूर ने अखुंदजादा के हवाले से कहा कि अफगानों को अपने जल क्षेत्र का प्रबंधन करने का अधिकार है.
अफगानिस्तान से पाकिस्तान की ओर बहती है नदी अफगानिस्तान की पांच प्रमुख नदियों में से एक, कुनार नदी है. पाकिस्तान में इसे चित्राल नदी के नाम से जाना जाता है. अफगानिस्तान के कुनार प्रांत से लगभग 482 किलोमीटर की दूरी तय करके काबुल नदी में मिलकर पाकिस्तान पहुंचती है. काबुल नदी का अधिकांश प्रवाह अंततः पाकिस्तान ही पहुंचता है. पाक के खैबर पख्तूनख्वा जैसे प्रांत की कृषि व्यवस्था और जल संसाधन अफगानी नदी के पानी पर अधिक निर्भर हैं.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच नहीं है कोई जलसंधि अफगानिस्तान जल संसाधनों से समृद्ध है, लेकिन दशकों के युद्ध और अस्थिरता ने देश को प्रभावी जल प्रबंधन प्रणाली विकसित करने से रोक दिया था. कुनार नदी पर बांध निर्माण के लिए नए सिरे से ज़ोर तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सीमा तनाव के बीच दिया जा रहा है. जल बंटवारा लंबे समय से दोनों पड़ोसियों के बीच एक संवेदनशील मुद्दा रहा है, जिनके बीच कोई औपचारिक जल संधि नहीं है और वे पारंपरिक प्रथाओं के आधार पर पानी का बंटवारा करते हैं.
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान को दी थी चेतावनी पिछले साल, पूर्वी अफगानिस्तान में तालिबान द्वारा बांध बनाने की योजना की खबरें सामने आने के बाद, पूर्व पाकिस्तानी प्रांतीय अधिकारी जान अचकजई ने चेतावनी दी थी कि कुनार पर तालिबान द्वारा किया गया कोई भी एकतरफा निर्माण पाकिस्तान के खिलाफ एक शत्रुतापूर्ण कार्रवाई मानी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें तनाव बढ़ना और संघर्ष की संभावना शामिल है.

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