सामाजिक मुद्दों पर हस्तियों की चुप्पी और इंग्लैंड की फुटबॉल टीम का नस्लवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध
The Wire
इंग्लैंड की फुटबॉल टीम ने यूरो 2020 के दौरान 'ब्लैक लाइव्स मैटर' को समर्थन देने के लिए 'घुटनों पर बैठने' का निर्णय लिया है. खेल जगत के तमाम महानायक और मनोरंजन जगत के सम्राट, जो संवेदनशील मुद्दों पर मौन रहना चुनते हैं, शायद इंग्लैंड की टीम से कुछ सीख ले सकते हैं.
कितने भारतीयों ने तुलसा नस्लीय जनसंहार के बारे में सुना है, जो वर्ष 1921 में अमेरिका के शहर ओकलाहोमा में हुआ था, जब श्वेत वर्चस्ववादियों के संगठित हुजूम ने शहर की समृद्ध अश्वेत आबादी के इलाके ग्रीनवुड को तबाह किया था? दो दिन चली इस सुनियोजित कार्रवाई में (31 मई -1 जून) – जिसमें शहर के श्वेत कर्णधारों ने दंगाइयों का जमकर साथ दिया था, यहां तक कि हमलावरों को हथियार भी प्रदान किए थे- तीन सौ से अधिक अश्वेत मारे गए थे और दस हजार से अधिक बेघर हुए थे. आप देख सकते हैं कि सौ साल पहले का यही वह समय था जब अमेरिका में अश्वेतों के लिंचिंग की घटनाएं हो रही थी, कू क्लक्लस क्लान जैसी श्वेत वर्चस्ववादियों की तंजीम जोरों पर थी. पिछले दिनों इस जनसंहार के 100 साल पूरे होने पर अमेरिका में तमाम आयोजन हुए, इन तमाम आयोजनों के बहाने अमेरिकी समाज ने अपने भेदभाव भरे अपने अतीत की और निगाह डालने की कोशिश की और गोया इस संकल्प को दोहराया कि तुलसा अब कभी नहीं.More Related News