
वे देश, जो अमेरिकी यात्रियों को देखते ही भड़क जाते हैं, क्या होता है उन नागरिकों के साथ, जो यहां 'फंस' जाएं?
AajTak
अमेरिका लगातार अपने लोगों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी करता है. वो बताता है कि किन देशों की यात्रा की जा सकती है और कहां जाना जोखिम-भरा है. यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने लगभग 20 देशों को ट्रैवल के लिए 'सबसे खतरनाक' माना. वहीं कई ऐसे भी मुल्क हैं, जो खुद ही अपने दरवाजे अमेरिकियों के लिए बंद करते रहे. यहां अमेरिकी नागरिक होना ही सबसे बड़ा खतरा है.
सबसे पहले समझते हैं कि अमेरिका में किस तरह की ट्रैवल एडवाइजरी जारी होती है और उसके क्या मायने हैं. यहां 4 लेवल हैं, जिनमें अलग-अलग देशों को रखा गया. लेवल के मुताबिक, यात्री तय करते हैं कि उन्हें कहीं जाना चाहिए भी या नहीं. पहले लेवल पर आने वाले देशों को अमेरिका सेफ मानता है. दूसरे लेवल पर वो देश आते हैं, जिनके बारे में अमेरिका थोड़ा डरा रहता है. अमेरिकियों को वहां एक्स्ट्रा सावधानी रखने को कहा जाता है. तीसरे स्तर के देश वे हैं, जिनके बारे में यूएस मानता है कि वहां जाना टालना चाहिए. इसके बाद आता है आखिरी और चौथा लेवल. इसका मतलब है- डू नॉट ट्रैवल.
सबसे ज्यादा रिस्क वाले देश चौथे स्तर के देशों के बारे में अमेरिकी सरकार अपने नागरिकों को वॉर्न करती है कि वे किसी भी हाल में वहां न जाएं. या फिर अगर जाना ही हो, तो जितनी जल्दी हो, निकल जाएं. सरकार ये भी मानती है कि लेवल 4 देशों में कोई इमरजेंसी बन आए तो अमेरिका अपने लोगों की 'वेरी लिमिटेड' मदद कर पाएगा.
करीब 20 देशों को यूएस ने लेवल 4 में रखा है यहां आतंकवाद, राजनैतिक अस्थिरता और लोकल क्राइम इन सबका ग्राफ ऊपर होता है. सूडान, जहां फिलहाल जंग छिड़ी हुई है, वो भी इसी लिस्ट में आता है. इसके अलावा अफगानिस्तान, बेलारूस, बुर्किना फासो, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, म्यांमार, गाजा पट्टी, हैती, इरान, इराक, लीबिया, माली, मैक्सिको, सीरिया, वेजेजुएला, यमन और उत्तर कोरिया भी वे देश हैं, जहां जाने से अमेरिका अपने लोगों को रोकता है.
रूस में भी ट्रैवल सेफ नहीं रूस भी इस लिस्ट का हिस्सा है. अमेरिका और रूस का तनाव खुला हुआ है. ऐसे में अगर रूस में फंसे अमेरिकी नागरिकों के साथ कोई अनहोनी हो, तो स्टेट डिपार्टमेंट साफ कहता है कि वो काफी लिमिटेड मदद ही दे सकेगा. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ऐसे हालात बने, जब अमेरिका ने रूस को पछाड़ना शुरू कर दिया.
किन देशों में अमेरिकी सिटीजन्स को पसंद नहीं किया जाता? अमेरिका फिलहाल सुपरपावर है. यही वजह है कि उसके नागरिकों को सभी जगहों पर वेलकम किया जाता है. हेनले पासपोर्ट इंडेक्स के मुताबिक अमेरिकी पासपोर्ट के साथ 186 देशों में बिना वीजा के जा सकते हैं. लेकिन कई देश ऐसे भी हैं, जहां अमेरिकी होना मुसीबत ला सकता है.
नॉर्थ कोरिया ऐसा ही एक देश है. दिलचस्प बात ये है कि अमेरिका ने भी उसे लेवल 4 पर रखा हुआ है, यानी डू नॉट ट्रैवल. अमेरिकी लोग अगर जाना चाहें, तो वहां किसी भी खतरे के जिम्मेदार वे खुद होंगे. लेकिन छोटा-सा देश उत्तर कोरिया हमेशा ही अमेरिका से नाराज रहा. वो मानता है कि अमेरिका ने उसके दुश्मन देश साउथ कोरिया की मदद से उसे कमजोर बनाना चाहा. इसके अलावा कम्युनिस्ट उत्तर कोरिया को पूंजीवादी सोच की वजह से भी अमेरिका पसंद नहीं.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






