यूक्रेन संकट: रूस पर बाइडन के प्रतिबंध से बढ़ने वाली महंगाई को लेकर भारत को सचेत रहना होगा
The Wire
रूस पर अमेरिकी प्रतिबंध अगर दो तिमाही तक भी चलते हैं, तो मुद्रास्फीतिकारी ताक़तें नियंत्रण से बाहर चली जाएंगी. अगर वैश्विक निवेशक अमेरिकी ट्रेज़री बॉन्ड की सुरक्षा की ओर भागेंगे, तो रुपये की विनिमय दर में भी तेज़ गिरावट आएगी.
काफी बहस के बाद अमेरिका ने आखिरकार बड़ा फैसला लेते हुए कुछ प्रमुख रूसी बैंकों को स्विफ्ट (सोसाइटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन) मैसेजिंग सिस्टम से बाहर कर दिया. स्विफ्ट 200 से ज्यादा देशों के 11,000 से ज्यादा बैंकों को एक साझा लेनदेन सूचना प्लेटफॉर्म से जोड़ता है.
यह शायद आज तक के इतिहास में रूस पर लगाया गया सबसे कठोर आर्थिक प्रतिबंध है.
इस सिस्टम से बाहर निकाले जाने से इन प्रमुख बैंकों के सहारे किए जानेवाले रूस के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. यह फैसला कुछ ऐसा ही जैसे एसबीआई, कैनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को अचानक इस वैश्विक बैंकिंग सूचना प्रणाली से बाहर कर दिया जाए.
इन बड़े भारतीय बैंकों के पास बड़े और छोटे निर्यातकों को नियमित कर्ज समेत भारतीय बैंकों की लगभग 50 फीसदी परिसंपत्ति है.