'यह प्राचीन मंदिर है, दीवारों का ढांचा मस्जिद का नहीं हो सकता', ज्ञानवापी को लेकर ASI के पूर्व डायरेक्टर का दावा
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ASI के पूर्व डायरेक्टर ने कहा कि शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ हुई है. जब हम किसी चीज को मिटाना चाहते हैं तब उसके साथ छेड़छाड़ करते हैं तो इस शिवलिंग के साथ भी छेड़छाड़ हुई है. उन्होंने कहा कि मुगलकाल के फव्वारे इस तरह के हैं ही नहीं. वह सिलैंडरिकल नहीं है. अगर ये हुआ है तो छेड़खानी है.
ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर अमरेंद्रनाथ ने आजतक से बातचीत करते हुए दावा किया है कि यह प्राचीन मंदिर है. दीवारों का ढांचा मस्जिद का नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि मस्जिद के अंदर शिवलिंग था जिसे तोड़ने की कोशिश की गई.
डॉक्टर अमरेंद्रनाथ ने कहा कि स्पष्ट रूप से यह देखा जा सकता है कि शिवलिंग की एक बेलनाकार संरचना है जिसमें अर्धगोलाकार शीर्ष है. लेकिन शीर्ष पर डिस्क जैसी संरचना देखकर ऐसा लगता है जैसे इसे चिपकाया गया है या जोड़ा गया है. उन्होंने ये भी कहा कि मुस्लिम पक्ष का दावा कि ये फव्वारा है, ये गलत है और अगर मुस्लिम पक्ष का दावा सही निकला तो समझ लीजिए कि उन्होंने तथ्यों और सबूतों के साथ खिलवाड़ किया है.
बाहरी दीवारों पर बने स्ट्रक्चर मस्जिद में नहीं पाए जाते: अमरेंदरनाथ
ASI के पूर्व डायरेक्टर ने दावा किया कि कमल, डमरू और जाली जैसी संरचना वाले उत्कीर्ण पत्थर के खंड 6वीं शताब्दी के हैं जो मस्जिद की गुंबद जैसी संरचना से बहुत पुराने हैं. यह एक प्राचीन मंदिर है. मस्जिद के बाहर जो दीवार दिखाई पड़ती है उस पर बने स्ट्रक्चर्स ब्राह्मोनिकल स्ट्रक्चर्स हैं. किसी भी प्रकार से वो मस्जिद की दीवार पर नहीं पाए जाते हैं.
अमरेंदरनाथ ने दावा किया कि ऐसा लगता है कि कई काल में मंदिर के निर्माण हुए हैं जिसके अवशेष मलबे में भी मिल रहे हैं. सारे सबूत यही बताते हैं कि वह एक मंदिर की दीवार ही थी.
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