
कच्चे तेल की सप्लाई, न्यूक्लियर रिएक्टर्स की डील... जानें- रूस के साथ हुए समझौतों से भारत को क्या हासिल होगा
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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार भारत आए थे. उनका यह दौरा कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण रहा. पुतिन का यह भारत दौरा ऐसे समय पर हुआ, जब रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त 25 फीसदी का टैरिफ लगा रखा है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत का दो दिवसीय दौरा पूरा करके मॉस्को लौट गए हैं. पुतिन का यह भारत दौरा काफी महत्वपूर्ण रहा. इस दौरान दोनों देशों के बीच कुल 19 समझौते हुए. लेकिन सवाल ये है कि इन समझौतों से दोनों देशों को हासिल क्या होगा?
रूस ने ऐलान किया कि वह भारत को कच्चा तेल, नैचुरल गैस, रिफाइनिंग पेट्रोकेमिकल और न्यूक्लियर क्षेत्र में सप्लाई जारी रखेगा. इसका मतलब ये हुआ कि पश्चिमी देशों के तमाम दबाव के बावजूद एनर्जी सेक्टर में भारत और रूस के बीच पहले से भी अधिक सहयोग दिख सकता है और भारत, रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रख सकते हैं.
दोनों देशों के बीच दूसरा बड़ा ऐलान सिविल न्यूक्लियर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर हुआ है. भारत में अभी ज्यादातर जगहों पर कोयले से बिजली बनाई जाती है लेकिन अब हम छोटे न्यूक्लियर रिएक्टर प्लांट्स भी लगाना चाहते हैं और इसमें रूस हमारी मदद करने वाला है और ये कोई मामूली डील नहीं है. इस तकनीक में पूरी दुनिया में रूस को सबसे आगे माना जाता है और अब जब रूस हमें इस क्षेत्र में और सहयोग देगा तो भारत का वो लक्ष्य पूरा हो सकता है, जिसके तहत हम साल 2047 तक छोटे न्यूक्लियर रिएक्टर्स से 100 गीगावाट बिजली बनाना चाहते हैं जबकि अभी हम इससे आठ गीगावाट बिजली ही बना पा रहे हैं.
भारत और रूस के बीच तीसरा बड़ा ऐलान ये हुआ है कि दोनों देश आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर यानी 9 लाख करोड़ रुपये तक लेकर जाएंगे. अभी दोनों देशों के बीच एक साल में 5 लाख 80 हजार करोड़ रुपये का सालाना व्यापार होता है, जिनमें भारत का घाटा बहुत ज्यादा है. भारत, रूस से 5 लाख 39 हजार करोड़ रुपये का सामान खरीदते हैं जबकि उसे सिर्फ 41 हजार करोड़ रुपये का सामान बेचते हैं.
इसी मुलाकात में ये भी ऐलान हुआ है कि रूस अपने देश में भारत के लोगों को काम करने के नए मौके देगा. रूस क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया का सबसे बड़ा देश है लेकिन उसकी आबादी सिर्फ 15 करोड़ है और अब वहां कामगारों का बड़ा संकट खड़ा हो गया है और यही वजह है कि रूस को भारतीय कामगारों की जरूरत है. आज रूस एक साल में भारत के 10 लाख लोगों को भी नौकरी देने के लिए तैयार है.
एक और ऐलान ये हुआ है कि अब भारत, रूस से सिर्फ हथियार नहीं खरीदेगा बल्कि दोनों देश साथ मिलकर इन हथियारों का निर्माण भी करेंगे और भारत मेक इन इंडिया के तहत रिसर्च एंड डेवलपमेंट, को-डेवलपमेंट और को-प्रोडक्शन पर जोर देगा. यानी अब हम ज्यादा से ज्यादा हथियार रशिया से तकनीक लेकर अपने ही देश में बनाने की कोशिश करेंगे, जैसे हमने ब्रह्मोस मिसाइल बनाई है.

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