मिडिल ईस्ट का 'पाब्लो एस्कोबार' माना जाता है ये ड्रग माफिया, अमेरिकी इंजीनियर के बदले मिली रिहाई
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बताया जा रहा है कि अमेरिका ने गुपचुप तरीके से कुख्यात ड्रग माफिया हाजी बशीर नूरज़ई को अफगानिस्तान की जेल में बंद एक अमेरिकी नागरिक की रिहाई के बदले छोड़ दिया है. उसकी रिहाई से भारत समेत कई देशों की एजेंसियां चिंतित हैं.
कुछ साल पहले, जब दुनिया के किसी भी कोने में ड्रग्स पकड़ी जाती थी, तो सबसे पहले नाम आता था अफगानी ड्रग लॉर्ड हाजी बशीर नूरज़ई का. ये वो शख्स है जिसे मिडिल ईस्ट का 'पाब्लो एस्कोबार' कहा जाता है. बशीर काफी समय से अमेरिका की जेल में बंद था. वहां की एक अदालत ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी. लेकिन हाल ही में उसके रिहा हो जाने की खबर आई है.
बताया जा रहा है कि अमेरिका ने गुपचुप तरीके से कुख्यात ड्रग माफिया हाजी बशीर नूरज़ई को अफगानिस्तान की जेल में बंद एक अमेरिकी नागरिक की रिहाई के बदले छोड़ दिया है. उसकी रिहाई भारत समेत कई देशों की एजेंसियों के लिए चिंता की बात हो सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि उसके आजाद हो जाने से ड्रग की तस्करी और कारोबार में तेजी आ सकती है.
कौन है हाजी बशीर नूरजई? बशीर नूरजई एक अफगानी ड्रग लॉर्ड है. वह तालिबान आंदोलन का समर्थक था. बाद में उसने अमेरिकी सरकार के लिए एक अंडरकवर एजेंट के रूप में काम शुरू कर दिया था. यही वजह थी कि अमेरिका का मोस्ट वॉन्टेड ड्रग तस्कर होने के बावजूद उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता था. दरअसल, अमेरिकी हैंडलर के साथ वह इसी शर्त पर काम कर रहा था और तभी वो डीब्रीफिंग के लिए न्यूयॉर्क शहर आने के लिए तैयार हुआ था.
बशीर नूरजई न्यूयॉर्क सिटी आ चुका था. मगर उसके वहां पंहुचने के दस दिन बाद ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. इसी दौरान अमेरिकी फौज की वापसी के बाद तालिबान एक फिर से अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज हो गया. तब तालिबान ने अमेरिकी सरकार से एक अमेरिकी इंजीनियर मार्क फ्रेरिच के बदले में नूरजई को रिहा करने की मांग की. मार्क फ्रेरिच को जनवरी 2020 में अगवा कर लिया गया था.
बशीर नूरज़ई ने 1979 से 1989 तक अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाली सोवियत सेनाओं के खिलाफ जंग लड़ी. लेकिन जब मुल्ला उमर अंडरग्राउंड हो गया तो बशीर ने कंधार का चार्ज छोड़ दिया. उसने तालिबान शासन को विस्फोटक, हथियार और मिलिशिया लड़ाके भी उपलब्ध कराए थे.
9/11 के हमले के वक्त बशीर नूरजई क्वेटा में था. मगर हमले की खबर मिलते ही वो फौरन अफगानिस्तान लौट आया. नवंबर 2001 में वह अफगान-पाकिस्तान सीमा के पास स्पिनबोल्डक में अमेरिकी सैन्य अधिकारी बताए गए कुछ लोगों से मिला. असल में अमेरिकी स्पेशल फोर्स और खुफिया अधिकारियों की छोटी टीमें उस समय अफगानिस्तान में मौजूद थीं, जो कबायली नेताओं का सपोर्ट मांग रही थीं.
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