
ममता बनर्जी-तेजस्वी यादव ने वादा तो कर दिया लेकिन क्या राज्य सरकारें वक्फ कानून लागू होने से रोक सकती हैं? क्या कहता है संविधान
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वक्फ संशोधन कानून 2025 को पश्चिम बंगाल या किसी अन्य राज्य में लागू होने से रोकना संवैधानिक रूप से संभव नहीं है, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट इसे रद्द न कर दे. अगर राज्य की विधानसभाएं इस आशय का प्रस्ताव पारित भी करती है तो यह केवल प्रतीकात्मक और राजनीतिक महत्व रखता है, न कि कानूनी प्रभाव.
भारत के संविधान में कानून बनाने की शक्ति राज्यों और केंद्र को दी गई है. संविधान के अनुच्छेद-246 के अनुसार राज्य और केंद्र जिन मुद्दों पर कानून बनाएंगे उन्हें तीन हिस्सों में या तीन सूची में बांटा गया है. ये सूचियां हैं- संघ सूची, यानी कि वैसे विषय या मुद्दे जिस पर केंद्र सरकार कानून बनाएगी. जैसे- रक्षा नीति, विदेश नीति, और मुद्रा नीति. मतलब कि राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर कानून केंद्र बनाएगा.
दूसरी सूची है राज्य सूची जिस पर राज्य विधानसभाएं कानून बना सकेंगी. जैसे- पुलिस, पब्लिक हेल्थ और भूमि. इन मुद्दों पर राज्य सरकारों को कानून बनाने का हक है. लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों को ही कानून बनाने का हक है. जैसे- आपराधिक कानून, विवाह, शिक्षा, और संपत्ति. इसे समवर्ती सूची कहते हैं.
वक्फ संशोधन कानून समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है, क्योंकि यह संपत्ति और धार्मिक रिवाजों से संबंधित मामला है. लेकिन मान लिया जाए कि समवर्ती सूची के किसी मुद्दे पर राज्य और केंद्र के बीच टकराव होता है तो ऐसी स्थिति में किसका कानून लागू होगा.
कानून पर किसकी चलेगी, क्या कहता है संविधान?
संविधान का अनुच्छेद 254 कहता है कि ऐसी स्थिति में केंद्र द्वारा बनाया गया कानून मान्य होगा. और राज्य के कानून की मान्यता नहीं होगी.
अब चर्चा पश्चिम बंगाल के सीएम ममता बनर्जी के उस बयान की. जिसमें उन्होंने कहा है कि वे वक्फ संशोधन कानून को पश्चिम बंगाल में लागू नहीं करेंगी.

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